बहुलक किसे कहते है?
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बहुलक –
परिभाषा :- सांख्यिकीय आंकड़ों में जिस पद की आवृत्ति (बारम्बारता) सबसे अधिक होती है। वह पद बहुलक कहलाता है। बहुलक को Mo से प्रदर्शित करते हैं।
परिकलन –
(अ) जब आंकड़े अवर्गीकृत है –
निरीक्षण द्वारा :- इस विधि मे केवल निरीक्षण करके यह ज्ञात किया जाता है कि कौन सा पद सबसे अधिक बार आया है। आवश्यकता अनुसार पदों के आरोही या अवरोही क्रम में भी व्यवस्थित करते हैं जिससे कौन से पद की बारम्बारता अधिक है, आसानी से समझा जा सकता है।
(ब) जब आंकड़े वर्गीकृत हो –
जब आंकड़े वर्गीकृत हो तो बहुलक ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम हम अधिकतम आवृत्ति वाले पद का चयन करते हैं , इसे Mo कहते हैं। बहुलक वर्ग ज्ञात करने के बाद निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है।
बहुलक (Mo) = L₁+{(f₁ – f₀)/2f₁-f₀-f₂}x(L₂-L₁)
L₁ = बहुलक वर्ग की निम्न सीमा
L₂ = Mo वर्ग की उच्च सीमा
f₁ = Mo वर्ग की आवृत्ति
f₀ = Mo वर्ग से पहले आने वाले वर्ग की आवृत्ति
f₂ = Mo वर्ग के ठीक बाद के वर्ग की आवृत्ति
नोट:- यदि प्रथम वर्ग ही Mo वर्ग हो , तो f₀ =0 तथा अंतिम वर्ग Mo वर्ग हो ,तो f₂ = 0 माना जाता है।
Mo के गुण :-
1. इसकी गणना सरल है।
2. इसको समझना सरल है।
3. प्रायः निरीक्षण मात्र से ही ज्ञात किया जा सकता है।
4. इसका व्यावहारिक उपयोग होता है।
Mo के दोष :-
1. यह सुपरिभाषित नहीं है।
2. सभी पदों पर आधारित नहीं है।
3. बीच गणितीय विवेचन के उपयुक्त नहीं है।
4. सभी पदों या वर्गों की आवृत्ति समान होने पर इसे ज्ञात नहीं किया जा सकता है।
माध्य , माध्यिका एवं Mo मे संबंध :-
माध्य , माध्यिका एवं बहुलक में से किन्हीं दो के ज्ञात होने पर तीसरा निम्न संबंध से ज्ञात किया जा सकता है। इसे मूलानुपाती सूत्र भी कहते हैं।
बहुलक = 3 × माध्यिका – 2 × समांतर माध्य
Mo = 3 Md – 2M
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