विस्थापन विधि द्वारा उत्तल लेंस की फोकस दूरी ज्ञात करना :-
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विस्थापन विधि का सिद्धांत :-
यदि दो पिनो के बीच की दूरी लेंस की फोकस दूरी के चौगुने से अधिक हो (विस्थापन विधि ) ,
तो लेंस की ऐसी दो स्थितियां प्राप्त की जा सकती हैं कि एक पिन का प्रतिबिम्ब दूसरी पिन पर बने।
यदि दोनों पिनों के बीच की दूरी d तथा लेंस का विस्थापन x हो , तो लेंस की फोकस दूरी
f = (d² – x²) / 4d
यदि d व x के मान ज्ञात हो , तो f का मान ज्ञात किया जा सकता है।
सूत्र की स्थापना :-
चित्र के अनुसार , मानलो AB और CD दो पिन हैं , जिसके बीच की दूरी 4f से अधिक है।
लेंस को प्रथम स्थिति L₁ में रखने परपिन AB का प्रतिबिम्ब A’B’ दूसरी पिन CD के ठीक ऊपर बनता है।
अतः OA = u , OA’ = v …….. (1)
जहाँ d दोंनो स्थिर पिनों के बीच की दूरी है।
लेंस को दूसरी स्थिति L₂ में रखने पर AB का प्रतिबिम्ब A’B” पुनः दूसरी पिन CD पर बनता है।
चूँकि A और A’ संयुग्मी फोकस हैं।
O’A’ = u , O’A = v
स्पष्ट हैं कि लेंस का विस्थापन
x = O’A – OA = v – u
v – u = x ……… (2)
समीकरण (1) और (2) को हल करने पर ,
u = (d – x) / 2 , v = (d + u) /2
अब लेंस के सामान्य सूत्र 1/f = 1/v – 1/u से ,
उचित चिन्हों का प्रयोग करने पर ,
1/+f = 1/+v – 1/-u
(क्योंकि उत्तल लेंस की फोकस दूरी धनात्मक होती है तथा वास्तविक प्रतिबिम्ब के लिए v धनात्मक होगी )
1/f = 1/v + 1/u
या f = uv / u+v. ……….(3)
समीकरण (3) में मान रखने पर ,
f = (d-x/ 2) (d+x/ 2) / d-x/2 + d+x/2
f = d² – x² /4d ….. (4)
उपयुक्त सूत्र की सहायता से d और x का मान ज्ञात होने पर f का मान ज्ञात किया जा सकता है।
प्रयोग विधि :-
सर्वप्रथम सूर्य की सहायता से उत्तल लेंस की अनुमानित फोकस दूरी ज्ञात करते हैं
और इस दूरी के चौगुने से अधिक दूरी पर प्रकाश बैंच पर दो पिन AB और CD लगाते हैं।
तत्पश्चात् दोनों पिनों के बीच स्टैंड में उत्तल लेंस लगाते हैं और पहले पिन कआ उल्टा प्रतिबिम्ब A’B’ प्राप्त करते हैं।
अब केवल लेंस को ही आगे पीछे खिसकाकर प्रतिबिम्ब A’B’ और दूसरे पिन CD के बीच लम्बन दूर करते हैं।
लेंस की इस स्थिति को नोट करते हैं।
अब लेंस को दूसरे पिन की ओर खिसकाते हैं तथा पहले पिन के प्रतिबिम्ब A’B” और दूसरे पिन CD के बीच केवल लेंस को ही खिसकाते हुए लम्बन दूर करते हैं।
लेंस की इस द्वितीय स्थिति को भी नोट करते हैं। लेंस की दोनों स्थितियों के प्रेक्षण से x का मान ज्ञात हो जाता है।
दोनों स्थिर पिनों की स्थिति नोट कर उनके बीच की दूरी d ज्ञात करते हैं।
अब सूत्र में मान रखकर f की गणना करते हैं।
पिनों की दूरी बदलकर प्रयोग को कई बार दुहराते हैं। अन्त में f का मध्यमान निकाल लेते हैं।
सावधानियाँ :-
1. दोनों स्थिर पिनों के बीच की दूरी लेंस की फोकस दूरी के चौगुने से अधिक होनी चाहिए।
2. लेंस को आगे पीछे खिसकाकर ही लम्बन दूर करना चाहिए , पिनो को नहीं।
3. दोंनो पिनों की नोंको और लेंस के मुख के मध्य भाग को मिलाने वाली रेख क्षैतिज के समान्तर हो।
विस्थापन विधि का महत्व :-
1. इस विधि में बैंच त्रुटि संशोधन दोंनो स्थिर पिनो के बीच की दूरी d के लिए करना होता है ,
x के लिए नहीं , क्योकि उसी लेंस को विस्थापित करना होता है।
2. इस विधि में लेंस के प्रकाश केन्द्र की स्थिति ज्ञात करने में होने वाली त्रुटि नहीं होती ,
क्योंकि इस विधि में लेंस से वस्तु या प्रतिबिम्ब की सूरी ज्ञात नहीं कि जाती।
3. इस विधि से किसी नली में बन्द उत्तल लेंस की भी फोकस दूरी ज्ञात की जा सकती है।
दोष :-
यदि उत्तल लेंस की फोकस दूरी अधिक है तो इस विधि द्वारा उक्त लेंस की फोकस दूरी ज्ञात नहीं कि जा सकती।
उदाहरणार्थ , यदि किसी उत्तल लेंस की फोकस दूरी 50 सेमि हो तो इस विधि द्वारा उसकी फोकस दूरी ज्ञात करने के लिए प्रकाश बैंच की लंबाई को 200 सेमी से अधिक होना चाहिए जो कि व्यवहार में सम्भव नहीं है।
【नोट :- इस विधि मेंd मान को 4f मान से बहुत अधिक नहीं होना चाहिए अन्यथा सरलतापूर्वक लम्बन दूर नहीं किया जा सकता। 】
वस्तु की लंबाई और प्रतिबिम्बों की लम्बाईयो में सम्बन्ध :-
लेंस की प्रथम स्थिति L में प्रतिबिम्ब का आवर्धन
m₁ =A’B’ / AB = OA’ / OA
या I₁ / O = v / u …..(1)
जहाँ A’B’ = I₁ =प्रतिबिम्ब की लंबाई तथा AB = O =वस्तु की लंबाई।
लेंस की द्वितीय स्थिति L में प्रतिबिम्ब का आवर्धन
m₂ = A’B” /AB = O’A’ /O’A
या I₂ / O = u / v …….(2)
जहाँ A’B” = I₂ = प्रतिबिम्ब की लंबाई
समीकरण (1) और (2) का गुणा करने पर ,
I₁ / O x I₂ / O = v / u x u / v = 1
या I₁ x I₂ / O² = 1
O² = I₁ x I₂
O= √ I₁ x I₂
अतः वस्तु की लंबाई , प्रतिबिम्ब की लम्बाईयो के गुणोत्तर माध्य के बराबर होती है।
स्थिर पिनों को लेंस की फोकस दूरी के चौगुने से अधिक दूरी पर रखने का कारण :-
विस्थापन विधि के सूत्र : f = d² – x² / 4d से ,
4fd = d² – x²
x² = d² – 4fd
x = √ d² – 4fd
यदि d = 4f हो , तो
x = √(4f)² – 4f . 4f
x = √ 16f² – 16f²
x = 0
अर्थात् स्थिर पिनों के बीच की दूरी लेंस की फोकस दूरी के ठीक चौगुनी होने पर या उससे कम होने पर लेंस की दो स्थितियाँ प्राप्त नहीं होगी।
अतः x के वास्तविक मान के लिए d² – 4df > 0
या d² > 4fd
या d > 4fd
अर्थात् लेंस की दो स्थितियाँ प्राप्त करने के लिए दोनों पिनों के बीच की दूरी को लेंस की फोकस दूरी के चौगुने से अधिक होना चाहिये।
वस्तु की लंबाई और प्रतिबिम्बों की लम्बाईयो में सम्बन्ध :-
लेंस की प्रथम स्थिति L में प्रतिबिम्ब का आवर्धन
m₁ =A’B’ / AB = OA’ / OA
या I₁ / O = v / u …..(1)
जहाँ A’B’ = I₁ =प्रतिबिम्ब की लंबाई तथा AB = O =वस्तु की लंबाई।
लेंस की द्वितीय स्थिति L में प्रतिबिम्ब का आवर्धन
m₂ = A’B” /AB = O’A’ /O’A
या I₂ / O = u / v …….(2)
जहाँ A’B” = I₂ = प्रतिबिम्ब की लंबाई
समीकरण (1) और (2) का गुणा करने पर ,
I₁ / O x I₂ / O = v / u x u / v = 1
या I₁ x I₂ / O² = 1
O² = I₁ x I₂
O= √ I₁ x I₂
अतः वस्तु की लंबाई , प्रतिबिम्ब की लम्बाईयो के गुणोत्तर माध्य के बराबर होती है।
स्थिर पिनों को लेंस की फोकस दूरी के चौगुने से अधिक दूरी पर रखने का कारण :-
विस्थापन विधि के सूत्र : f = d² – x² / 4d से ,
4fd = d² – x²
x² = d² – 4fd
x = √ d² – 4fd
यदि d = 4f हो , तो
x = √(4f)² – 4f . 4f
x = √ 16f² – 16f²
x = 0
अर्थात् स्थिर पिनों के बीच की दूरी लेंस की फोकस दूरी के ठीक चौगुनी होने पर या उससे कम होने पर लेंस की दो स्थितियाँ प्राप्त नहीं होगी।
अतः x के वास्तविक मान के लिए d² – 4df > 0
या d² > 4fd
या d > 4fd
अर्थात् लेंस की दो स्थितियाँ प्राप्त करने के लिए दोनों पिनों के बीच की दूरी को लेंस की फोकस दूरी के चौगुने से अधिक होना चाहिये।