विमॉडुलन (Demodulation) किसे कहते हैं?

विमॉडुलन (Demodulation) :-

विमॉडुलन (Demodulation)

वायरलेस सिग्नल या मॉडुलित सिग्नल की आवृत्ति अत्यधिक होती है।

यह आवृत्ति श्रव्य सीमा से बाहर होती है।

इस आवृत्ति से टेलीफोन अभिग्राही या लाउडस्पीकर के डायफ्रॉम कम्पन नहीं कर सकते।

अतः मूल संदेश सिग्नल या श्रव्य आवृत्ति तरंगों को उच्च आवृत्ति वाली वाहक तरंगों से पृथक् करना आवश्यक हो जाता है।

मॉडुलित सिग्नल से मॉडुलक सिग्नल और वाहक तरंग को अलग अलग करने की प्रक्रिया को विमॉडुलन (Demodulation) कहते हैं।

इसे संसूचन (Detection) भी कहते हैं। इस प्रक्रिया हेतु प्रयुक्त परिपथ को विमॉडुलक (Demodulator) या संसूचक (Detector) कहते हैं।

स्पष्ट है कि विमॉडुलन मॉडुलन की विपरीत प्रक्रिया है।

किसी संदेश सिग्नल (20 हर्ट्ज से 20 किलो हर्ट्ज) को प्रेषित करने योजनावत् व्यवस्था (Schematic Arrangement) दी गई है।

विमॉडुलन ( Demodulation)

सर्वप्रथम मूल संदेश या सूचना को उचित ट्रान्सड्यूसरों (जैसे – माइक्रोफोन ) की सहायता से संदेह सिग्नल में परिवर्तित किया जाता है।

इस सिग्नल का किसी विधि द्वारा मॉडुलन किया जाता है। तत्पश्चात मॉडुलित तरंग को प्रवर्धित कर प्रेषित्र ऐण्टिना को भेजा जाता है ,

जहाँ से इस सिग्नल को विकिरित (Dediate) किया जाता है।

अभिग्राही ऐण्टिना पर प्राप्त सिग्नल प्रायः दुर्बल होता है।

अतः सर्वप्रथम इस सिग्नल का प्रवर्धन किया जाता है।

इस प्रवर्धित सिग्नल को विमॉडुलक में भेजा जाता है जो मूल सिग्नल (श्रव्य आवृत्ति सिग्नल) से वाहक तरंग को अलग कर देता है।

तत्पश्चात श्रव्य सिग्नल को पुनः प्रवर्धक के द्वारा प्रवर्धित किया जाता है।

अब इस सिग्नल को लाउडस्पीकर में भेजा जाता हैं , जो उसे पुनः मूल संदेश में परिवर्तित कर देता है।

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