विद्युत वाहक बल क्या है
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जानिए , विद्युत वाहक बल क्या है
विद्युत् वाहक बल (Electromotive Force)
जब किसी सेल को बाह्य परिपथ से जोड़ा जाता है, तो बाहा परिपथ में विद्युत् धारा सेल के धन इलेक्ट्रोड से ऋण इलेक्ट्रोड की ओर तथा सेल के अन्दर ऋण इलेक्ट्रोड से धन इलेक्ट्रोड की ओर प्रवाहित होती है।
किसी भी विद्युत् परिपथ में विद्युत् धारा के प्रवाह को बनाये रखने के लिए ऊर्जा व्यय करनी पड़ती है।
यह ऊर्जा सेलों के रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न होती है।
एकांक आवेश को पूरे विद्युत् परिपथ में प्रवाहित करने पर जितनी ऊर्जा व्यय होती है, उसे सेल का विद्युत् वाहक बल कहते हैं।
इसे संक्षिप्त में वि. वा. बल (c.m.f.) लिखते हैं।
या
एकांक आवेश को पूरे विद्युत् परिपथ में चलाने के लिए जितना कार्य करना पड़ता है, उसे उस सेल का वि. वा. बल कहते हैं।
यदि Q आवेश को किसी विद्युत् परिपथ में चलाने के लिए W कार्य करना पढ़े या W ऊर्जा व्यय हो, तो
उस सेल का वि. वा. बल
E = W / Q
यह परिभाषा विभवान्तर को परिभाषा के तुल्य है।
अत: खुले परिपथ में सेल के दोनों इलेक्ट्रोडों के बीच विभवान्तर को सेल का वि. वा. बल कहते हैं।
मात्रक –
S.1 पद्धति में वि. वा. बल का मात्रक वोल्ट है।
सूत्र E= W/Q में, यदि W = 1 जूल तथा Q= 1 कूलॉम हो, तो E = 1 वोल्ट
इस प्रकार
1 वोल्ट =1 जूल/ 1 कूलॉम
अतः यदि किसी विद्युत् परिपथ में 1 कूलॉम आवेश को चलाने में 1 जूल ऊर्जा व्यय होती है, तो उस सेल का वि. वा. बल 1 वोल्ट होता है।
विभवान्तर की परिभाषा से स्पष्ट है कि एकांक धनावेश को पूरे परिपथ में चलाने के लिए आवश्यक कार्य की मात्रा अर्थात् व्यय हुई ऊर्जा सेल के इलेक्ट्रोडों के मध्य अधिकतम विभवान्तर के बराबर होगी।
सेल के दोनों सिरों के मध्य विभवान्तर अधिकतम उस समय होता है।
जबकि सैल खुले परिपथ में होता है।
अर्थात् जब उससे धारा नहीं ली जा रही होती है।
इस प्रकार जब सेल खुले परिपथ में होता है, तो उसके इलेक्ट्रोडों के मध्य अधिकतम विभवान्तर को सेल का विद्युत् वाहक बल कहते हैं। इसे E से प्रदर्शित करते हैं।
सेल का टर्मिनल विभवान्तर-
जब सेल बन्द परिपथ में होता है अर्थात् जब सेल से धारा ली जाती है तो बाह्य परिपथ में एकांक आवेश को प्रवाहित करने में व्यय हुई ऊर्जा को सेल का टर्मिनल विभवान्तर कहते हैं।
इसे V से प्रदर्शित करते हैं।
किसी सेल का विद्युत् वाहक बल उसके टर्मिनल विभवान्तर तथा आन्तरिक प्रतिरोध के कारण व्यय हुई ऊर्जा के योगफल के बराबर होता है।
अत: सेल का वि. वा. बल सदैव उसके टर्मिनल विभवान्तर से अधिक होता है।
नोट:-
(1) किसी सेल का विद्युत वाहक बल उसका लाक्षणिक गुण होता है।
(ii) किसी सेल का विद्युत वाहक बल इलेक्ट्रोडों और विद्युत अपघट्य की प्रकृति पर निर्भर करता है। यह किसी सेल लिए नियत होता है।
यह इलेक्ट्रोडों के आकार, उनके बीच की दूरीयाँ या विद्युत् अपघट्य की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता।
(iii) यद्यपि वि. वा. बल आवेश को पूरे परिपथ में चलाता है, किन्तु यह बल कतई नहीं है, यह एक विभवान्तर है।
(iv) वि. वा. बल का मात्रक वोल्ट, जूल/कूलॉम और वाट/ ऐम्पियर के तुल्य है।
विद्युत वाहक बल और विभवान्तर में अन्तर (Difference between Electromotive Force and Potential Difference)
वि. वा. बल और विभवान्तर दोनों का अर्थ एक ही नहीं है, क्योंकि यदि किसी विद्युत् परिपथ में एक सैल के विपरीत अधिक विद्युत् वाहक बल वाला दूसरा सेल जोड़ दिया जाये, तो विभवान्तर की दिशा के साथ ही विद्युत् धारा की दिशा भी बदल जाती है, जबकि वि. वा. बल की दिशा वही रहती है।
विद्युत् वाहक बल और विभवान्तर में अन्तर
क्रमांक | विद्युत वाहक बल | विभवान्तर | |||||
1.
2. 3. 4. 5. |
यह सेल के दोनों ध्रुवों के बीच का अधिकतम विभवान्तर होता है, जबकि सेल खुले परिपथ में हो।
इस शब्द का उपयोग विद्युत् स्रोतों, जैसे-जन- रेटर, सेल, बैटरी, डायनेमो इत्यादि के लिए किया जाता है। विद्युत् परिपथ भंग होने पर भी इसका अस्तित्व रहता है। किसी सेल का वि. वा. बल परिपथ के प्रतिरोध पर निर्भर नहीं करता। इसके कारण किसी विद्युत् परिपथ में धारा प्रवाहित होती है। |
यह किसी विद्युत् परिपथ के किन्हों बिन्दुओं के विभवों का अन्तर होता है।
इस शब्द का उपयोग परिपथ के किन्हीं दो बिन्दुओं के लिये किया जाता है। विद्युत् परिपथ भंग होने पर इसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। परिपथ के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच का विभवान्तर उन दोनों बिन्दुओं के बीच लगे प्रतिरोध के मान पर निर्भर करता है। किसी परिपथ में धारा प्रवाहित होने के फलस्वरूप विभवान्तर उत्पन्न होता है। |
विद्युत् वाहक बल के स्रोत (Sources of Electromotive Force)
सेल, बैटरी, ऐलीमिनेटर, परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र आदि विद्युत् वाहक बल के विभिन्न प्रकार के स्रोत हैं।
सेल (Cell)-
Cell सेल ऐसी युक्ति है, जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपान्तरित करती है।
सेल के द्वारा किसी विद्युत् परिपथ में धारा के प्रवाह को लगातार बनाये रखा जा सकता है।
सेल को विद्युत् रासायनिक सेल (Electro-chemical cell) भी कहते हैं।
आवेश उत्पत्ति का इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त