लेंज का नियम क्या है
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जानिए , लेंज का नियम क्या है
लेंज का नियम और फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम (Lenz’s Law and Fleming’s Right Hand Rule)
इन दोनों नियमों की सहायता से प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात की जाती है।
(1) लेंज का नियम-
इस नियमानुसार, विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण की प्रत्येक अवस्था में प्रेरित विद्युत् धारा की दिशा इस प्रकार होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है,
जिसके कारण वह स्वयं उत्पन्न हुई है।
व्याख्या—
(i) जब चुम्बक के N-ध्रुव को कुण्डली के पास लाते हैं,
तो कुण्डली में प्रेरित विद्युत् धारा उत्पन्न हो जाती है।
इस प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होगी कि वह चुम्बक के N-ध्रुव को कुण्डली के पास लाने का विरोध कर सके।
यह तभी सम्भव है, जबकि चुम्बक की ओर का कुण्डली का तल N ध्रुव की भाँति कार्य करे।
अतः कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा वामावर्त होगी ।
(ii) जब चुम्बक के N-ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाते हैं,
तो पुन: कुण्डली में विद्युत् धारा प्रेरित हो जाती है।
इस प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होगी कि वह चुम्बक के दूर जाने का विरोध कर सके।
यह तभी सम्भव है, जबकि चुम्बक की ओर का कुण्डली का तल S-ध्रुव की भाँति कार्य करे,
अतः कुण्डली में प्रेरित धारा को दिशा दक्षिणावर्त होगी ।
लेंज का नियम और ऊर्जा संरक्षण का नियम-
जब चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुण्डली के किसी तल के पास लाते हैं,
तो लेंज के नियमानुसार कुण्डली का वह तल उत्तरी ध्रुव बन जाता है।
अतः चुम्बक और कुण्डली के मध्य प्रतिकर्षण बल कार्य करने लगता है।
इस प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध चुम्बक को कुण्डली के पास लाने में कार्य करना पड़ता है।
यही यान्त्रिक कार्य विद्युत् ऊर्जा अर्थात् प्रेरित धारा के रूप में परिवर्तित हो जाता है,
किन्तु जब उत्तरी ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाते हैं, तो कुण्डली का वह तल दक्षिणी ध्रुव बन जाता है।
अत: चुम्बक और कुण्डली के मध्य आकर्षण बल कार्य करने लगता है।
इस आकर्षण बल के विरुद्ध चुम्बक को दूर ले जाने में पुनः कार्य करना पड़ता है।
यही यान्त्रिक कार्य प्रेरित धारा के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
अतः लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुकूल है।
ध्यान रहे जब कुण्डली का परिपथ खुला होता है, तो चुम्बक को कुण्डली के पास लाने या दूर ले जाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता।
(2) फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम–
यदि किसी सीधे चालक को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में उसके लम्बवत् चलाया जाये तो चालक में उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम की सहायता से ज्ञात की जाती है।
यह नियम निम्नानुसार है –
दायें हाथ का अंगूठा, तर्जनी और मध्यमा को इस प्रकार फैलाओ कि वे परस्पर लम्बवत् हों।
अब यदि अंगूठा चालक की गति की दिशा को एवं तर्जनी क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करे,
तो मध्यमा प्रेरित धारा की दिशा को प्रदर्शित करती है।
नोट:
(i) लेंज के नियम की सहायता से किसी भी परिपथ में प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात की जाती है,
जबकि फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम की सहायता से सोधे चालक (Straight conductor) में प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात की जाती है।
(ii) फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम की सहायता से चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत्वाही तार पर लगने वाले बल की दिशा ज्ञात की जाती है।
इस नियम का उपयोग दिष्ट धारा मोटर , धारामापी इत्यादि में किया जाता है।
फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम की सहायता से प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात की जाती है।
इस नियम का उपयोग डायनेमो में किया जाता है।