प्रकीर्णन के उदाहरण –
Table of Contents
प्रकीर्णन के उदाहरण
1. आकाश का नीला दिखाई देना –
2. दोपहर के समय आकाश का श्वेत दिखाई देना –
3. बादलों का श्वेत दिखाई देना –
4. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल दिखाई देना –
5. वायुमंडल की अनुपस्थिति में आकाश का काला दिखाई देना –
6. खतरे के सिग्नल का लाल होना –
प्रकीर्णन के उदाहरण –
1. आकाश का नीला दिखाई देना –
जब सूर्य प्रकाश वायुमंडल में से गुजरता है तो वायु के अणुओं और अन्य सूक्ष्म कणों द्वारा विभिन्न रंगो का प्रकीर्णन हो जाता है।
रैले के अनुसार , बैंगनी रंग का प्रकीर्णन सर्वाधिक एवं लाल रंग का प्रकीर्णन सबसे कम होता है।
नीले रंग का प्रकीर्णन बैंगनी रंग से कम एवं लाल रंग से अधिक होता है , किन्तु सूर्य के प्रकाश में अन्य रंगो की तुलना में नीला रंग अधिक मात्रा में होता है।
अतः अन्य रंगो की तुलना में नीले रंग का प्रकीर्णन अधिक होता है।
इसके अतिरिक्त बैंगनी रंग की तुलना में नीले रंग के लिए हमारी आँख अधिक संवेदनशील होती है अतः आकाश नीला दिखाई देता है।
2. दोपहर के समय आकाश का श्वेत दिखाई देना –
दोपहर के समय सूर्य ठीक सिर के ऊपर होता है। इस स्थिति में सूर्य हमसे न्यूनतम दूरी पर होता है।
अतः उससे प्रकाश हम तक सीधे पहुंच जाता है , उसके विभिन्न रंगो का प्रकीर्णन बहुत कम हो पाता है।
फलस्वरूप आकाश लगभग श्वेत दिखाई देता है।
3. बादलों का श्वेत दिखाई देना –
बादलों में धूल के कण एवं पानी की छोटी छोटी बूँदें होती है। ये कण बड़े होते हैं।
अतः इन कणों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन रैले के नियमानुसार नहीं होता , अपितु ये कण सभी रंगो को लगभग समान रूप से प्रकीर्णन कर देते हैं
। फलस्वरूप बादल श्वेत दिखाई देता है।
4. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल दिखाई देना –
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य से आने वाला प्रकाश अत्यधिक दूरी तय करता है।
इस दौरान कम तरंगदैर्घ्य वाले रंगो का प्रकीर्णन अधिक होता है जबकि लाल रंग का प्रकीर्णन बहुत कम होता है।
इस प्रकार प्रेक्षक तक पहुंचने वाले प्रकाश में लाल रंग की अधिकता होती है।
अतः सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य और उसके आसपास का भाग लगभग लाल दिखाई देता है।
5. वायुमंडल की अनुपस्थिति में आकाश का काला दिखाई देना –
यदि वायुमंडल नहीं होता तो आकाश काला दिखाई देता , क्योंकि इस स्थिति में कोई भी रंग प्रकीर्णित नहीं होता।
अधिक ऊँचाई पर उड़ने वाले यात्रियों को आकाश काला दिखाई देता है , क्योंकि इस स्थिति में वायुमंडल के अणुओं द्वारा प्रकीर्णन नगण्य होता है।
चन्द्रमा पर वायुमंडल नहीं है।
अतः चन्द्रमा से देखे जाने पर आकाश काला दिखाई देता है , अन्तरिक्ष यात्रियों को भी आकाश काला दिखाई देता है।
6. खतरे के सिग्नल का लाल होना –
लाल रंग का तरंगदैर्घ्य अधिक होता है , जिससे उसका प्रकीर्णन बहुत कम होता है , क्योंकि प्रकीर्णन की तीव्रता I
* 1 / λ⁴ , जहाँ λ = तरंगदैर्घ्य। अतः लाल रंग के सिग्नल को दूर से देखा जा सकता है।
प्रिज्म से अपवर्तन (प्रतियोगिता फाइल )
प्रिज्म से अपवर्तन
महत्वपूर्ण जानकारियां
1. प्रतिदीप्ति की घटना –
प्रतिदीप्ति की घटना में प्रतिदीप्तशील पदार्थ से नवीन प्रकाश उस समय तक उत्सर्जित होता है जब तक कि उत्तेजक प्रकाश उस पर आपतित होता है।
स्फुरदीप्ति में स्फुरप्तिशील पदार्थ से आपतित प्रकाश के समाप्त होने पर भी कुछ समय तक लगातार नवीन प्रकाश उत्सर्जित होते रहता है।
यदि आपतित प्रकाश का तरंगदैर्घ्य λ तथा उत्सर्जित प्रकाश का तरंगदैर्घ्य λ’ हो तो स्टोक के नियम से ,
λ’ > λ .
2. वस्तुओं के रंग –
अपारदर्शी वस्तु जिस रंग को परावर्तित करती है , उसी रंग की दिखाई देती है , जबकि पारदर्शी वस्तु जिस रंग को पारगमित करती है , उसी रंग की दिखाई देती है।
3. रंगो का संयोजन –
लाल , हरा व नीला रंग को प्राथमिक रंग कहते हैं , क्योंकि इनको किन्हीं अन्य रंगो को मिश्रित कर तैयार नहीं किया जा सकता है।
इनको उचित अनुपात मेंलाल + हरा + नीला = श्वेतलाल + नीला = मेजेण्टालाल + हरा = पीलाहरा + नीला = मोरपंखी।
4. सम्पूरक रंग –
कोई भी दो रंग जो मिलकर श्वेत रंग बनाते हों।पीला + नीला = श्वेतलाल + मोरपंखी = श्वेतहरा + मेजेण्टा = श्वेत।
श्वेत प्रकाश को लाल फिल्टर से गुजारने पर मोरपंखी रंग , श्वेत प्रकाश को हरा फिल्टर से गुजारने पर मेजेण्टा रंग तथा श्वेत प्रकाश को नीला फिल्टर से गुजारने पर पीला रंग प्राप्त होता हैं।
5. यदि किसी प्रिज्म का कोण A क्रान्तिक कोण C के दुगुने से अधिक हो , तो उसमें से होकर प्रकाश किरण नहीं गुजर पाती। इस प्रकारA = 2C वायु-काँच के लिए μ = 1.5 तथा C = 41°
6. बैंगनी रंग का अपवर्तनांक , आवृत्ति तथा विचलन अन्य रंगो की तुलना में अधिक होता है।
काँच के महीन टुकड़े से प्रकाश का परावर्तन होने के कारण रंगीन काँच को पीसने पर वह श्वेत दिखाई देता है।
7. जब सूर्य प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल में से होकर गुजरता है तो वायुमंडल में उपस्थित असंख्य अणु जिनका आकार प्रकाश तरंगदैर्घ्य की तुलना में कम होता है , प्रकाश को प्रकीर्णन कर देते हैं।
सूर्य प्रकाश का यह प्रकीर्णन ही आकाश के रंग के लिए उत्तरदायी होता है। रैले (Rayleigh) के अनुसार , प्रकीर्णन की तीव्रता तरंगदैर्घ्य के चतुर्थ (Fourth power ) के व्युत्क्रमानुपाती होती है। इसे रैले का प्रकीर्णन कहते हैं।
यदि प्रकीर्णन की तीव्रता I तथा तरंगदैर्घ्य λ हो तो रैले के प्रकीर्णन से ,
I = 1 / λ⁴लाल रंग का तरंगदैर्घ्य अधिक तथा बैंगनी रंग का तरंगदैर्घ्य कम होता है।
अतः रैले के अनुसार लाल रंग का प्रकीर्णन कम और बैंगनी रंग का प्रकीर्णन अधिक होता है।