समाक्षीय केबल (Co-axial Cable) किसे कहते हैं?

समाक्षीय केबल :-

समाक्षीय केबल में एक तार होता है जो समाक्षीय खोखले बेलनाकार चालक से घिरा रहता है।

दोनों चालकों के बीच परावैद्युत पदार्थ जैसे – टेफ्लान, पॉलीथिलीन आदि भरा होता है

जिसमें आंतरिक चालक बाह्य खोखले बेलनाकार चालक के अन्दर केन्द्र पर बना होता है।

परावैद्युत पदार्थ की प्रकृति प्रसारित होने वाली आवृत्ति और शक्ति पर निर्भर करती है।

समाक्षीय केबल

समाक्षीय केबल का आंतरिक तार सामान्यतः ताँबे का होता है तथा बाह्य चालक ठोस अथवा ताँबे या ऐल्युमिनियम की जाली होती है।

बाह्य चालक भी परावैद्युत पदार्थ के आवरण से पूर्णतः घिरा होता है।

समाक्षीय केबल के द्वारा एनालॉग और डिजिटल दोनों प्रकार के सिगनलों का प्रसारण किया जाता है।

इसमें 20 मेगाहर्ट्ज बैण्ड चौड़ाई का सिगनल प्रसारित किया जा सकता है।

उपयोग :-

समाक्षीय केबल का उपयोग कम्प्यूटर नेटवर्क मे कम्प्यूटर तंत्रों को जोड़ने में किया जाता है।

इसके अतिरिक्त रेडियो आवृत्ति और टेलीविजन चैनल प्रसारण में भी इसका उपयोग किया जाता है।

लाभ :-

1. इसमें सिग्नल आंतरिक तार में से होकर संचरित होते हैं।

बाह्य चालक सामान्यतः पृथ्वीकृत होता है जो सिगनलों को वैद्युतीय आवरण प्रदान करता है।

अतः बाह्य सिगनलों या व्यवधानों का मूल सिगनल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

2. इसके द्वारा न्यूनतम शक्ति क्षय के साथ उच्च आवृत्तियों को सम्प्रेषित किया जा सकता है ,

क्योंकि इसमें विद्युत् चुम्बकीय तरंगें ही अधिकांश ऊर्जा या शक्ति का वाहक होती हैं।

3. बंद आवरण होने के कारण ताँबे के तार से विकिरण द्वारा ऊर्जा या शक्ति का क्षय नहीं हो पाता।

4. समाक्षीय केबल के द्वारा अधिक दूरी तक प्रसारण में ऊर्जा या शक्ति का क्षय होने लगता है

अतः उचित दूरी (लगभग 20 किमी) पर बस्टर या सिगनल प्रवर्धन करनेवाले रिपीटर का उपयोग किया जाता है।

इससे प्रसारण की बैण्ड चौड़ाई बढ़ जाती है।

डिजिटल सिगनलों का उपयोग करके बैण्ड चौड़ाई को और अधिक बढ़ाया जा सकता है।

5. इसमें सिगनल संचरण की दर अधिक होती है।

दोष :-

1. यह ऐंठित युग्म तार लाइन की तुलना में अधिक खर्चीला है।

2. इसे आसानी से टेप नहीं किया जा सकता।

3. समाक्षीय केबल में दोनों चालकों के मध्य प्रयुक्त परावैद्युत पदार्थ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

डी.सी. और कम आवृत्ति की धारा या विद्युत् क्षेत्र के लिए यह पदार्थ पूर्णतः विद्युत् रोधी होता है ,

किन्तु आवृत्ति बढ़ने के साथ परावैद्युत माध्यम का प्रतिरोध घटने लगता है और चालकता बढ़ने लगती है। फलस्वरूप उसमें से होकर शक्ति का क्षय होने लगता है जिसे परावैद्युत ह्रास (Dielectric loss) कहते हैं।

स्पष्ट है कि समाक्षीय केबल के द्वारा एक निश्चित आवृत्ति से कम आवृत्ति के सिगनलों को ही प्रभावी ढंग से प्रसारित किया जा सकता है।

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