समतल दर्पण की सहायता से उत्तल लेंस की फोकस दूरी ज्ञात करना (Determination of focal Length of a Convex Lens With the Help of Plane Mirror)
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इसके लिए प्रकाश बैंच पर एक स्टैंड में पिन , दूसरे स्टैंड में उत्तल लेंस तथा तीसरे स्टैंड में समतल दर्पण इस प्रकार लगाते हैं कि दर्पण का परावर्तक पृष्ठ लेंस की ओर रहे।
अब लेंस या पिन को इस प्रकार चलाते हैं कि लेंस में पिन का उल्टा प्रतिबिम्ब दिखाई दे।
तत्पश्चात् पिन को आगे पीछे चलाकर पिन और उसके उल्टे प्रतिबिम्ब के बीच लम्बन दूर करते हैं।
इस स्थिति में पिन और उत्तल लेंस के बीच की दूरी उत्तल लेंस की फोकस दूरी के बराबर होती हैं।
यदि वस्तु पिन उत्तल लेंस के फोकस पर स्थित है तो लेंस से अपवर्तित किरणें परस्पर समान्तर होती हैं।
ये समान्तर किरणें समतल दर्पण पर अभिलम्बवत् आपतित होती हैं।
अतः परावर्तन के पश्चात् उसी मार्ग से वापस लौट जाती हैं।
फलस्वरूप वस्तु पिन का प्रतिबिम्ब ठीक वस्तु पिन के ऊपर ही बनता है।
इस प्रकार उत्तल लेंस और वस्तु पिन के बीच की दूरी को नोट कर उत्तल लेंस की फोकस दूरी ज्ञात की जा सकती है।
समतल दर्पण एवं उत्तल लेंस की सहायता से अवतल लेंस की फोकस दूरी ज्ञात करना (Determination of Focal Length of a Concave Lens with the Help of Plane Mirror and Convex Lens )
आवश्यक उपकरण :-
प्रकाश बैंच , अवतल लेंस , समतल दर्पण , उत्तल लेंस , पिन इत्यादि।
सिध्दांत :-
इस विधि में कम फोकस दूरी का एक ऐसा उत्तल लेंस लेते हैं , जिसको अवतल लेंस से सटाकर रखने पर बना संयुक्त लेंस अभिसारी लेंस (उत्तल लेंस) की तरह कार्य करे।
यदि उत्तल लेंस की फोकस दूरी f₁ , अवतल लेंस की फोकस दूरी f₂ तथा संयुक्त लेंस की फोकस दूरी F हो , तो
सूत्र : 1/F = 1/f₁ + 1/f₂ से ,
1/F = 1/f₁ + (-1/f₂ ),
(अवतल लेंस की फोकस दूरी ऋणात्मक होती हैं। )
या 1/F = 1/f₁ – 1/f₂
1/ f₂ = 1/ f₁ – 1/ F
या 1/ f₂ = F – f₁ / Ff₁
f₂ = Ff₁ / F – f₁
यदि F व f₁ के मान ज्ञात हो, तो f₂ की गणना की जा सकती है।
L₁ – उत्तल लेंस ,
L₂ – अवतल लेंस ,
P – पिन ,
M – समतल दर्पण ,
P₁P₂ – प्रतिबिम्ब।
प्रयोग विधि :-
1. सर्वप्रथम प्रकाश बैंच को स्पिरिट तलदर्शी की सहायता से क्षैतिज कर लेते हैं।
2. अब उस पर एक स्टैंड में पिन , दूसरे स्टैंड में उत्तल लेंस तथा तीसरे स्टैंड में समतल दर्पण इस प्रकार लगाते हैं
कि समतल दर्पण का परावर्तक पृष्ठ लेंस की ओर रहे तथा पिन की ऊँचाई को इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं
कि पिन की नोंक और लेंस के प्रकाश केन्द्र को मिलाने वाली रेखा प्रकाश बैंच के समान्तर रहे।
3. तत्पश्चात् पिन को आगे पीछे चलाकर पिन और उनके उल्टे प्रतिबिम्ब के बीच लम्बन दूर करते हैं।
4. पिन और उत्तल लेंस के बीच की दूरी नोट करते हैं। यह उत्तल लेंस की फोकस दूरी f₁ के बराबर होती हैं।
5. अब प्रायोगिक अवतल लेंस को उत्तल लेंस के साथ मिलाकर रखते हैं
तथा पिन को लेंस से कुछ दूर इस प्रकार खिसकते हैं कि पिन और संयुक्त लेंस से बने उसके उल्टे प्रतिबिम्ब में लम्बन न रहे।
6. पिन और लेंस के बीच की दूरी नॉट करते हैं। यह दूरी संयुक्त लेंस की फोकस दूरी F के बराबर होती है।
7. अब सूत्र में f₁ व F के मान रखकर f₂ की गणना करते हैं।
सावधानियां :-
1. उत्तल लेंस की फोकस दूरी को अवतल लेंस की फोकस दूरी से कम होना चाहिए।
2. पिन की ऊँचाई इतनी हो कि उसकी नोंक उत्तल लेंस के प्रकाश केन्द्र के सीध में आ जाये
अर्थात पिन की नोंक और लेंस के प्रकाश केन्द्र को मिलाने वाली रेखा प्रकाश बैंच के समान्तर हो।
3. उत्तल लेंस और समतल दर्पण के बीच की दूरी कम रखनी चाहिए , ताकि प्रतिबिम्ब चमकीला बने।
संयुग्मी फोकस
लेंस समीकरण से ,
1/v – 1/u = 1/f
चिन्ह परिपाटी के अनुसार u ऋणात्मक होता है।
वास्तविक प्रतिबिम्ब के लिए v धनात्मक होता है।
1/v – 1/-u = 1/f
या 1/v + 1/u = 1/f
इस समीकरण से स्पष्ट है कि u और v को आपस में बदल देने पर f के मान में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
इसका अर्थ यह है कि यदि वस्तु को u दूरी पर रखें तो उसका प्रतिबिम्ब v दूरी पर बनेगा
और यदि वस्तु को v दूरी पर रखें तो उसका प्रतिबिम्ब u दूरी पर बनेगा।
उत्तल लेंस के मुख्य अक्ष पर ऐसे कई बिन्दु युग्म होते हैं
जिनमें से वस्तु को एक बिन्दु पर रखने पर प्रतिबिम्ब दूसरे बिन्दू पर बनता है और वस्तु को दूसरे बिंदु पर रखने पर प्रतिबिंब पहले बिन्दु पर बनता है।
ऐसे बिन्दु युग्मों को संयुग्मी फोकस कहते हैं।
संयुग्मी फोकस केवल वास्तविक प्रतिबिम्बो के लिए ही होते हैं , आभासी प्रतिबिम्बों के लिए नहीं।
अतः संयुग्मी फोकस उत्तल लेंस में होते हैं , अवतल लेंस में नहीं।
और जानें –
गोलीय पृष्ठ पर प्रकाश का अपवर्तन –
मुख्य फोकस (Principal Focus) किसे कहते हैं ?
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न्यूटन का सूत्र (Newton’s formula) –
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी किसे कहते हैं ?