लेंस की क्षमता (Power of a lens)
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संयुक्त लेंस की क्षमता –
हम जानते हैं कि उत्तल लेंस प्रकाश किरणों को मुख्य अक्ष की ओर मोड़ देता है तथा अवतल लेंस मुख्य अक्ष से दूर हटा देता है।
इस प्रकार लेंस का मुख्य प्रकाश किरणों को मोड़ना है।
यह देख गया है कि जिस लेंस की फोकस दूरी जितनी कम होती है वह प्रकाश किरणों को उतना ही अधिक मोड़ता है।
अतः उसकी क्षमता या शक्ति अधिक कही जाती है। अतएव मीटर में नापी गयी लेंस की फोकस दूरी के व्युत्क्रम को उसकी क्षमता कहते हैं।
सूत्र के रूप में,
लेंस की क्षमता = 1/ मीटर में फोकस दूरी
P = 1/ f (मीटर में)
यदि फोकस दूरी f सेमी में हो , तो लेंस की क्षमता P = 100 /f
लेंस की क्षमता का मात्रक डाइऑप्टर (Diopter) है। जिस लेंस की फोकस दूरी 1 मीटर होती है , उसकी क्षमता एक डाइऑप्टर कहलाती है।
उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक तथा अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती है।
पुनः 1/ f = (μ – 1) (1/R₁ – 1/R₂)
क्षमता P = (μ – 1) (1/R₁ – 1/R₂)
संयुक्त लेंस की क्षमता –
मानलो f₁ और f₂ फोकस दूरी के लेंसों की क्षमतायें क्रमशः P₁ और P₂ हैं।
अतः P₁ = 1 / f₁ तथा P₂ = 1 / f₂
यदि संयुक्त लेंस की फोकस दूरी F तथा क्षमता P हो , तो P = 1 / f
परन्तु 1 / F = 1 / f₁ + 1/ f₂
P = P₁ + P₂
अतः संयुक्त लेंस की क्षमता प्रत्येक लेंस की क्षमता के बीजगणितीय योग के बराबर होती है।
इस सूत्र का उपयोग करते समय ज्ञात राशियों के मान चिन्ह सहित रखना चाहिए।
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