प्रकाश का व्यतिकरण (INTERFERENCE OF LIGHT )
Table of Contents
प्रकाश का व्यतिकरण –
जब समान आवृत्ति लगभग समान आयाम की दो प्रकाश तरंगें किसी माध्यम में एक साथ एक ही दिशा में गमन करती हैं तो अध्यारोपण के सिद्धांत के अनुसार परिणामी तरंग का निर्माण करती हैं।
परिणामी तरंग का आयाम मूल तरंगों के आयाम से भिन्न होता है।
चूँकि प्रकाश की तीव्रता आयाम के वर्ग के अनुत्क्रमानुपाती होती है , अतः प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन हो जाता है।
कुछ स्थानों पर प्रकाश की तीव्रता अधिकतम , कुछ स्थानों पर न्यूनतम अथवा शून्य होती है।
इस घटना को प्रकाश का व्यतिकरण कहते हैं।
अतः जब समान आवृत्ति की दो प्रकाश तरंगें किसी माध्यम में एक ही दिशा में गमन करती हैं तो उनके अध्यारोपण के फलस्वरूप प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन हो जाता है।
इस घटना को प्रकाश का व्यतिकरण कहते हैं।
व्यतिकरण के प्रकार :-
व्यतिकरण दो प्रकार के होते हैं –
1. संपोषी व्यतिकरण
2. विनाशी व्यतिकरण।
1. संपोषी व्यतिकरण (Constructive Interference) :-
माध्यम के जिस बिन्दु पर दोनों तरंगें समान कला में मिलती हैं
अर्थात् दोनों तरंगों के श्रृंग या गर्त एक साथ पड़ते हैं , उस बिन्दु पर दोनों तरंगें एक दूसरे के प्रभाव को बढ़ाती हैं।
अतः प्रकाश की परिणामी तीव्रता अधिकतम होती है। इस प्रकार के व्यतिकरण को संपोषी व्यतिकरण कहते हैं।
2. विनाशी व्यतिकरण (Destructive Interference) :-
माध्यम के जिस बिन्दु पर दोनों तरंगें विपरीत कला में मिलती हैं
अर्थात् एक तरंग के श्रृंग पर दूसरी तरंग का गर्त या एक तरंग के गर्त पर दूसरी तरंग का श्रृंग पड़ता है , उस बिन्दु पर दोनों तरंगें एक दूसरे के प्रभाव को नष्ट कर देता है।
अतः उस बिन्दु पर प्रकाश की परिणामी तीव्रता न्यूनतम या शून्य होती है।
इस प्रकार के व्यतिकरण को विनाशी vyatikaran कहते हैं।
व्यतिकरण किसे कहते हैं _ उनके दो प्रतिबंध लिखिए
कला सम्बद्ध स्त्रोत –
ऐसे दो स्त्रोतों को कला सम्बद्ध स्त्रोत कहते हैं जिनसे निकलने वाली तरंगों की आवृत्तियाँ बराबर होती हैं तथा जिनमें कलान्तर शून्य होता है अथवा कलान्तर स्थिर होता है , समय के साथ बदलता नहीं।
दो स्त्रोतों के कला सम्बद्ध होने की निम्न शर्तें हैं –
1. दोनों की आवृत्तियाँ बराबर हों।
2. उनमें कलान्तर शून्य हो अथवा स्थिर कलान्तर हो।
समय के साथ तरंगों का कलान्तर परिवर्तित न हो।
दो पृथक् पृथक् प्रकाश स्त्रोतों से आने वाली प्रकाश तरंगों के मध्य कलान्तर समय के साथ परिवर्तित होता रहता है।
अतः किसी बिन्दु पर यदि किसी समय प्रकाश की तीव्रता न्यूनतम है तो कुछ समय के पश्चात् तीव्रता अधिकतम हो जायेगी।
फलस्वरूप स्थायी व्यतिकरण प्रतिरूप प्राप्त नहीं होगा।
अतः दो विभिन्न प्रकाश स्त्रोतों से व्यतिकरण उत्पन्न नहीं हो सकता।
यही कारण है कि दो मोमबत्तियों या दो बल्बों द्वारा व्यतिकरण की घटना को नहीं देखा जा सकता।
दो कला सम्बद्ध स्त्रोत प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि दोनों स्त्रोत एक ही प्रकाश स्त्रोत से उत्पन्न किये जावें।
निम्न परिस्थितियों में दो स्त्रोत कलासम्बद्ध स्त्रोत होंगे , यदि –
1. दोनों एक ही प्रकाश स्त्रोत के आभासी प्रतिबिम्ब हैं।
2. एक स्त्रोत है और दूसरा उसका आभासी प्रतिबिम्ब है।
3. दोनों एक ही स्त्रोत के वास्तविक प्रतिबिम्ब हैं।
नोट :-
१. कलासम्बद्ध स्त्रोत वास्तविक या आभासी होते हैं।
२. लेसर प्रकाश एकवर्णी तथा उच्च कलासम्बद्ध होता है।
३. दो विभिन्न ध्वनि स्त्रोत कलासम्बद्ध हो सकते हैं किन्तु दो पृथक् प्रकाश स्त्रोत कभी भी कलासम्बद्ध नहीं होते।