विद्युत धारिता (Electrical Capacitance or Capacity)
Table of Contents
विद्युत धारिता –
जिस प्रकार किसी बर्तन में द्रव डालने पर उसका तल बढ़ने लगता है, ठीक उसी प्रकार किसी चालक को आवेश देने पर उसका विभव बढ़ने लगता है।
यदि किसी चालक को Q आवेश देने से उसके विभव में V की वृद्धि हो, तो
Q ∝ V या Q=C.V
जहाँ C एक नियतांक है जो चालक की आकृति, क्षेत्रफल और उसके चारों ओर के माध्यम पर निर्भर करता है। इसे चालक की विद्युत धारिता कहते हैं।
अतः विद्युत् धारिता
C= Q / V
शब्दों में,
विद्युत धारिता = आवेश की मात्रा / विभव में वृद्धि
उपर्युक्त सूत्र में यदि V = 1 हो, तो C = Q
अतः किसी चालक की विद्युत्-धारिता उस आवेश के आंकिक मान के बराबर होता है, जो उसके विभव में इकाई की वृद्धि कर दे।
धारिता का मात्रक–
S. I. पद्धति में धारिता का मात्रक फैरड (संकेत F) है।
C= Q/V
C = कूलॉम /1 वोल्ट =1 फैरड
अतः यदि किसी चालक को 1 कूलॉम आवेश देने पर उसके विभव में 1 वोल्ट की वृद्धि हो जाय तो उसकी धारिता 1 फैरड कहलाती है।
फैरड विद्युत्-धारिता का बड़ा मात्रक है।
अतः व्यवहार में छोटे मात्रक प्रयुक्त किये जाते हैं, जो निम्नानुसार हैं :
1 माइक्रो फैरड (μF) = 10-6 फैरड (F)
1 पिको फैरड (pF) या 1 माइक्रो-माइक्रो फैरड (μμF) = 10-12 फैरड
C. G. S. पद्धति में विद्युत्-धारिता का स्थिर वैद्युत मात्रक स्थैत-फैरड (Stat farad) है।
C= Q/ V से,
C= 1 स्थैत-कूलॉम /1 स्थैत-वोल्ट =1 स्थैत-फैरड
अतः यदि किसी चालक को 1 स्थैत-कूलॉम आवेश देने से उसके विभव में 1 स्थैत-वोल्ट की वृद्धि हो जाय तो उस चालक की धारिता 1 स्थैत-फैरड होती है।
विद्युत् धारिता के C. G. S. मात्रक और S. I. मात्रक में सम्बन्ध— C =Q/ V से
1 फैरड = 1 कूलॉम /1 वोल्ट = 3 ×109 ‘स्यैत-कूलॉम / 1/300 स्थैत-वोल्ट = 9 × 10 11स्थैत-फैरड।
विद्युत धारिता की विमायें (Dimensions of electrical capacity)
C = Q/V से,
C= Q/W/Q = Q²/W. [V = W/q0,
[C] = [AT]² / [ML²T-²] = [A²T²] / [ML²T-²]
= [M-¹L-²T4A²]
धारिता की भौतिक सार्थकता (Physical Significance of Capacitance)
किसी पृथक्कृत चालक की विद्युत्-धारिता अपने अन्दर विद्युत् आवेश को एकत्रित करने की क्षमता से सम्बन्धित होती है,
किन्तु एक निश्चित सीमा से अधिक आवेश देने पर चारों ओर के माध्यम में विद्युत् का विसर्जन होने लगता है।
वायु की परावैद्युत शक्ति (Dielectric power) केवल 3 x 106 वोल्ट मीटर है अर्थात् यदि किसी चालक को इतना आवेश दे दिया जाये कि विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता 3 x 106 वोल्ट मीटर से अधिक हो जाये तो वायु में विद्युत् का विसर्जन होने लगता है।
किसी चालक की विद्युत्-धारिता चालक की आकृति और विमाओं पर तथा चारों ओर के माध्यम की प्रकृति पर निर्भर करती है, चालक के पदार्थ पर नहीं।
नोट: पृथ्वी को असीमित रूप आवेश दिया जा सकता है क्योंकि उसकी धारिता बहुत अधिक होती है।
आवेश उत्पत्ति का इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त