विद्युत् धारा का प्रवाह (Flow of Electric Current)
विद्युत् धारा का प्रवाह –
यदि दो बर्तनों को , जिसमें द्रव का तल भिन्न भिन्न है , एक नली द्वारा जोड़ दिया जाये ,
तो द्रव उस बर्तन से जिसमें द्रव के तल की ऊँचाई अधिक है , उस बर्तन की ओर बहता है , जिसमें द्रव के तल की ऊँचाई कम होती है।
यह प्रवाह उस समय तक जारी रहती है , जिनके विभव भिन्न भिन्न हैं ,
एक चालक तार द्वारा जोड़ दिया जाय तो आवेश अधिक विभव वाले चालक से कम विभव वाले चालक की ओर प्रवाहित होने लगता है।
यह प्रवाह उस समय तक जारी रहता है , जब तक कि दोनों का विभव एकसमान नहीं हो जाता। गतिशील आवेश विद्युत् धारा का निर्माण करते हैं।
स्पष्ट है कि लगातार विद्युत् धारा प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि दोनों चालकों के मध्य (एक ही चालक के दो बिन्दुओं के मध्य) विभवान्तर सदैव नियत बना रहे। इसके लिए सेल या बैटरी प्रयुक्त करते हैं।
सेल या बैटरी मे रासायनिक क्रिया के कारण दो चालकों के मध्य विभवान्तर नियत बना रहता है।
इलेक्ट्रॉन सिध्दांत के अनुसार ठोस पदार्थों के परमाणुओं के नाभिक की पास वाली कक्षाओं के इलेक्ट्रॉन नाभिक के धनावेश के द्वारा अधिक आकर्षण बल से बँधे होते हैं।
इन इलेक्ट्रॉनों को सम्बद्ध इलेक्ट्रॉन (Bound Electrons) कहते हैं।
नाभिक से दूर वाली कक्षाओं के इलेक्ट्रॉनों पर धनावेश का आकर्षण बल कम होता है।
इन इलेक्ट्रॉनों को उनकी कक्षाओं से आसानी से (गर्म करके , रगड़कर या अन्य विधियों द्वारा) हटाया जा सकता है।
इनमें से कई इलेक्ट्रॉन अपनी कक्षा को छोड़कर पदार्थ के पृष्ठ पर घूमते रहते हैं।
चालक इलेक्ट्रॉन –
इन इलेक्ट्रॉनों को मुक्त इलेक्ट्रॉन (Free Electrons) या चालक इलेक्ट्रॉन (Conduction Electrons) कहते हैं।
किसी पदार्थ की विद्युत् चालकता इन मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करती है।
जिन पदार्थों में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक होती है वे विद्युत् के अच्छे चालक होते हैं।
चाँदी विद्युत् का सबसे अच्छा चालक है , इसके बाद क्रमशः ताँबा , सोना व ऐल्युमिनियम आता है।
जब किसी चालक के सिरों के बीच विभवान्तर लगाया जाता है ,
तो विद्युत् क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन विद्युत् क्षेत्र की विपरीत दिशा में कम विभव वाले सिरे से अधिक विभव वाले सिरे की ओर प्रवाहित होने लगते हैं ,
जिससे विद्युत् धारा प्रवाहित होने लगती है।
ठोस पदार्थों में विद्युत् धारा के प्रवाह की दिशा इलेक्ट्रॉन के प्रवाह की दिशा के विपरीत मानी जाती है।
इस प्रकार ठोसों में इलेक्ट्रॉन विद्युत् धारा के वाहक (Carriers) होते हैं।
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