रिमोट सेंसिंग क्या है (Remote sensing)
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रिमोट सेंसिंग क्या है –
परिभाषा –
रिमोट सेंसिंग अर्थात् सुदूर संवेदन वह तकनीक है , जिसके द्वारा पृथ्वी के दूरस्थ स्थानों में स्थित वस्तुओं , क्षेत्र या घटनाओं का अध्ययन किया जाता है।
रिमोट सेन्सिंग में वस्तुओं के भौतिक सम्पर्क के बिना उनके बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।
किसी प्रकार की फोटोग्राफी एक प्रकार का रिमोट सेन्सिंग है।
रिमोट सेन्सिंग की कार्य-विधि वस्तुओं के भौतिक गुणों जैसे- स्थिति, आकार, रंग, प्रकृति, ताप आदि पर आधारित होता है।
रिमोट सेन्सिंग के लिए भी कृत्रिम उपग्रह का उपयोग किया जाता है।
ऐसे उपग्रहों को रिमोट सेन्सिंग उपग्रह कहते हैं। रिमोट सेन्सिंग उपग्रहों की कक्षा भू-स्थैतिक उपग्रहों की कक्षा से भिन्न होती है
तथा पृथ्वी तल से इनकी ऊँचाई भू-स्थैतिक उपग्रहों की तुलना में बहुत कम होती है।
रिमोट सेन्सिंग उपग्रह की कक्ष इस प्रकार होती है कि वह किसी विशेष क्षेत्र के ऊपर से एक निश्चित स्थानीय समय पर ही गुजरता है।
ऐसी स्थिति में, उस क्षेत्र के सापेक्ष सूर्य की स्थिति सदैव वही बनी रहती है।
ऐसी कक्ष को सूर्य तुल्यकालिक कक्ष (Sun synchronous orbit) कहते हैं।
इस प्रकार जब-जब रिमोट सेन्सिंग उपग्रह किसी क्षेत्र विशेष से गुजरता है तब-तब लगभग एकसमान प्रदीप्ति में उस क्षेत्र का फोटोग्राफ लेता है।
इस फोटोग्राफ के अध्ययन से उस क्षेत्र विशेष के बारे में जानकारियाँ प्राप्त हो जाती हैं।
उपयोग –
रिमोट सेन्सिंग उपग्रहों का उपयोग निम्न उद्देश्यों की पूर्ति हेतु किया जाता है
(i) पृथ्वी के किसी बड़े भू-भाग का मानचित्र बनाने में। (ii) भूमिगत जल सर्वेक्षण में।
(iii) पृथ्वी के किसी विशेष क्षेत्र में आच्छादित वनों के क्षेत्रफल, घनत्व, वृक्षों एवं पौधों की प्राप्त करने हेतु
(iv) दुर्घटनाग्रस्त विमानों के मलवे की जानकारी प्राप्त करने में।
(v) कृषि व सूखे के पूर्वानुमान के लिए।
(vi) युद्धक्षेत्र में शत्रुओं की जासूसी करने में।
(vii) सीमाओं की सुरक्षा हेतु
(viii) बाढ़ से हुई क्षति का आकलन करने में।
(ix) मौसम के पूर्वानुमान में।
(x) पर्यावरण सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने में।
IRS-1A, IRS-1B, IRS 1C भारतीय रिमोट सेन्सिंग उपग्रह हैं।
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