ब्रूस्टर का नियम (Brewester’s law)
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ब्रूस्टर का नियम –
परावर्तन द्वारा ध्रुवण (Polarisation by Reflection)
सन् 1808 में फ्रांसीसी भौतिकशास्त्री मैलक (Malus) ने पाया कि जब साधारण प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम जैसे – काँच आदि के पृष्ठ से परावर्तित होता हैं तो वह आंशिक रूप से समतल ध्रुवित हो जाता है।
सन् 1811 में ब्रुस्टर (Brewster) ने इसका विस्तारपूर्वक अध्ययन किया।
उन्होंने ज्ञात किया कि आपतन कोण के मान को बढ़ाने पर ध्रुवण की मात्रा (Degree of Polarisation) बढ़ जाती है।
आपतन कोण के एक विशेष मान के लिए परावर्तित प्रकाश पूर्णतः समतल ध्रुवित हो जाता है।
Aaptan कोण के इस मान को ध्रुवण कोण (Angle of Polarisation) या ब्रूस्टर कोण (Brewster’s angle) कहते हैं।
आपतन कोण के उस न्यूनतम मान को , जिसके लिए परावर्तित प्रकाश पूर्णतः समतल ध्रुवित होता है , ध्रुवण कोण कहते हैं।
इसे ip से प्रदर्शित करते हैं। काँच के लिए इसका मान 57° तथा जल के लिए 53° होता है
ध्रुवण कोण प्रकाश के तरंगदैर्घ्य पर निर्भर करता है।
अतः पूर्व ध्रुवण एकवर्णी प्रकाश से ही सम्भव है।
ब्रूस्टर का नियम (Brewester’s law) –
इस नियमानुसार , किसी माध्यम का अपवर्तनांक , ध्रुवण कोण ip की स्पर्शज्या (Tangent) के बराबर होता है।
सूत्र के रूप में ,
μ = tan ip
चित्र के अनुसार , मानलो कि कोई प्रकाश किरण μ अपवर्तनांक वाले माध्यम के पृष्ठ पर ध्रुवण कोण ip पर आपतित होता है।
तब स्नेल के नियमानुसार ,
μ = sin /sin r ….(1)
जहाँ r = अपवर्तन कोण ।
परन्तु μ = tan ip …….(2)
समी. (1) और (2) से ,
tan ip = sin ip /sin r
sin ip / cos ip = sin ip /sin r
अतः cos ip = sin r
या sin (90 – ip ) = sin r
90 – ip = r
90 = ip + r
चित्र से स्पष्ट है कि
ip + r + ∠CBD = 180°,
∠CBD = 180° – (ip + r ) = 180° – 90°
∠CBD = 90°
अतः परिवर्तित और अपवर्तित किरणें परस्पर लम्बवत् होती है।
चित्र में AB आपतित प्रकाश , BC परिवर्तित प्रकाश तथा BD अपवर्तित प्रकाश है ।
MN वायु और माध्यम का पृथक्कारी पृष्ठ या परावर्ती पृष्ठ है।
जब प्रकाश ध्रुवण कोण पर आपतित होता है तो BC के अनुदिश परावर्तित प्रकाश पूर्णतः समतल ध्रुवित प्रकाश होता है।
समतल ध्रुवित प्रकाश के कम्पन कागज के तल के लम्बवत् होते हैं।
अतः इन्हें बिन्दुओं द्वारा प्रदर्शित किया गया है। BD दिशा में अपवर्तित प्रकाश आंशिक रूप से ध्रुवित होता है।
ब्रुस्टर के नियम की व्याख्या –
अध्रुवित प्रकाश में वैद्युत वेक्टरों को दो आयताकार घटकों (Rectangular components) में वियोजित किया जा सकता है –
1. आपतन तल (Plane of incidence) के समान्तर और
2. आपतन तल के लम्बवत्।
इन्हें चित्र में तीरों और बिन्दुओं के द्वारा प्रदर्शित किया गया है।
जब प्रकाश तरंग परावर्तक पृष्ठ पर पहुँचती है तो उसके इलेक्टॉन इन दोनों दिशाओं में कम्पन करने लगते हैं ध्रुवण कोण पर परावर्तित और अपवर्तित तरंगें परस्पर लम्बवत् होती है।
आपतन तल के समान्तर कम्पन परावर्तित तरंग के अनुदिश होते हैं।
अतः ये कम्पन परावर्तित प्रकाश की दिशा में अनुप्रस्थ तरंगें उत्पन्न नहीं कर सकते।
अतः परावर्तित तरंग में वैद्युत वेक्टर आपतन तल के लम्बवत् तल में कम्पन करते हैं।
इस प्रकार , परावर्तित प्रकाश पूर्णतः समतल ध्रुवित होता है।
इसे चित्र में बिन्दुओं से प्रदर्शित किया गया है।
अपवर्तित प्रकाशित पूर्णतः ध्रुवित नहीं होता।