फ्लुओरीन प्रबल ऑक्सीकारक प्रकृति का होता है। क्यों?

फ्लुओरीन प्रबल ऑक्सीकारक प्रकृति का होता है। क्यों?

जानिए , फ्लुओरीन प्रबल ऑक्सीकारक प्रकृति का होता है। क्यों?

फ्लुओरीन परमाणु का आकार बहुत छोटा , ऋणविद्युत्ता उच्च एवं बंध वियोजन ऊर्जा निम्न होती हैं ,

इसलिए यह सरलता से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके प्रबल ऑक्सीकारक का कार्य करते हैं।

समूह – 17 के तत्व रंगीन होते हैं। क्यों ?

समूह – 17 के तत्व दृश्य प्रकाश (Visible light) को अवशोषित करते हैं ,

जिसके कारण बाह्य तम इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर उच्चतर ऊर्जा स्तर में चले जाते हैं एवं अणु को रंग प्रदान करते हैं।

PCl₅ एक क्लोरीनीकारक की भाँति व्यवहार करता है। क्यों ?

PCl₅ की संरचना त्रिभुजीय द्विपिरामिडीय होने के कारण इसके सभी बन्ध समान लम्बाई के नहीं होते।

त्रिभुजीय समतलीय आकृति बनाने वाले P-Cl बन्धो की लम्बाई कम होती है

जबकि तल के ऊपर एवं नीचे वाले दो अक्षीय P-Cl बन्धो की लम्बाई ज्यादा होती है जिससे ये दोनों Cl परमाणु Cl₂ के रूप में मुक्त होते हैं।

इस तरह PCl₅ एक क्लोरीनीकारक का व्यवहार करता है।

PCl₅ ⇔ PCl₃ + Cl₂

प्रकृति में हैलोजन किस रूप में एवं कहाँ पाये जाते हैं ??

प्रकृति में हैलोजन अधिकांशतः समुद्री जल में , लवण के रूप में , संयुक्त अवस्था में पाये जाते हैं।

शब्द हैलोजन (halogen) का अर्थ ‘समुद्री लवण निर्माता’ होता है।

हैलोजनों के चार प्रकार के ऑक्सी-अम्ल क्या है ?

हैलोजनों द्वारा बनाये जाने वाले चार प्रकार के ऑक्सी-अम्ल निम्न हैं –

1. हाइपोहैलस अम्ल (HOX)

2. हैलस अम्ल (HXO₂)

3. हैलिक अम्ल (HXO₃)

4. परहैलिक अम्ल (HXO₄).

प्रबल विद्युत् अपघट्य और दुर्बल विद्युत् अपघट्य क्या है ?

प्रबल विद्युत् अपघट्य :-

यदि विलयन में यौगिक के सभी अणु आयनिक होते हैं तो उस विद्युत् अपघट्य को प्रबल विद्युत् अपघट्य कहते हैं।

जैसे :- NaCl , HCl , NaOH आदि।

दुर्बल विद्युत् अपघट्य :-

यदि विलयन में यौगिक के कुछ ही अणु आयनिक होते हैं सभी नहीं होते तो विद्युत् अपघट्य को दुर्बल विद्युत् अपघट्य कहते हैं।

जैसे :- CH₃COOH , NH₄OH आदि।

किसी चालक में इलेक्ट्रॉन बराबर गतिशील रहते हैं , फिर भी चालक में से विद्युत् धारा प्रवाहित नहीं होती जब तक कि उसके सिरों पर विभवान्तर न लगाया जाये , क्यों ?

चालक में इलेक्ट्रॉन अनियमित गति करते हैं जिससे किसी भी दिशा में उनकी नेट गति शून्य होती है।

अतः उसमें से विद्युत् धारा प्रवाहित नहीं होती।

उसके सिरों के बीच विभवान्तर लगाने पर इलेक्ट्रॉन क्षेत्र की विपरीत दिशा में औसत अनुगमन वेग से गति करते हैं।

जिससे विद्युत् धारा प्रवाहित होने लगती है।

पिघला हुआ सोडियम क्लोराइड विद्युत् का चालक होता है जबकि हाइड्रोजन क्लोराइड , अपने क्वथनांक के नीचे विद्युत् का कुचालक होता है , क्यों ?

HCl का पानी में विलयन प्रबल चालक होता है , क्यों??

सोडियम क्लोराइड वैद्युत संयोजक (Electrovalent) यौगिक हैं।

ठोस NaCl आयनिक होते हुए भी विद्युत् का कुचालक होता है

क्योंकि इसके आयन बँधे हुए होते हैं किन्तु पिघली हुई अवस्था में इसके आयन गति करने के लिए स्वतंत्र है।

अतः पिघली हुई अवस्था में NaCl विद्युत् का चालक होता है।

हाइड्रोजन क्लोराइड आयनिक नहीं है। अतः इसका द्रव विद्युत् का कुचालक होता है।

पानी में HCl का विलयन विद्युत् का चालक होता है , क्योंकि विलयन में HCl का आयनन हो जाता है।

इसका कारण यह है कि हाइड्रोजन आयनों की पानी के अणुओं के साथ प्रबल बन्धुता होती है।

HCl + H₂O ⇒ H₃O⁺ + Cl⁻

कुछ सहसंयोजक लवण(जैसे Al₂Cl₆) , जो ठोस अवस्था में आयनिक नहीं होते , पानी में घोलने पर चालक (Conducting) बन जाते हैं , क्यों ?

दरासल धातु आयन और पानी के मध्य बंधुता (Affinity) के कारण पानी में घोलने पर आयनित हो जाते हैं।

अतः चालक बन जाते हैं।

लेंस (Lens) किसे कहते हैं

रैखिक आवर्धन किसे कहते हैं ?

लेंस सूत्र (Lens Formula) किसे कहते हैं ?

न्यूटन का सूत्र (Newton’s formula) –

इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी किसे कहते हैं ?

लेंसों का संयोजन कैसे होता है ?

संयुक्त लेंस की क्षमता (Power of a Lens)-

समतल दर्पण –

educationallof
Author: educationallof

error: Content is protected !!