प्रतिरोध प्रतिघात और प्रतिबाधा में अन्तर
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जानिए , प्रतिरोध प्रतिघात और प्रतिबाधा में अन्तर
प्रतिरोध (Resistance) :-
1.दिष्ट धारा या प्रत्यावर्ती धारा के मार्ग में चालक द्वारा डालें गये अवरोध को प्रतिरोध कहते हैं।
2. प्रतिरोध आवृत्ति पर निर्भर नहीं करता।
3. इसे R से प्रदर्शित करते हैं।
प्रतिघात (Reactance) :-
1. प्रत्यावर्ती धारा के मार्ग में प्रेरक कुण्डली या संधारित्र द्वारा डाले गये अवरोध को प्रतिघात कहते हैं।
2. प्रतिघात आवृत्ति पर निर्भर करता है।
3. इसे X से प्रदर्शित करते हैं।
प्रतिबाधा (Impedance):-
1. प्रत्यावर्ती धारा के मार्ग में प्रतिरोधक, प्रेरण कुण्डली और संधारित्र में तीनों या किन्हीं दो के द्वारा डाले गये अवरोध को प्रतिबाधा कहते हैं।
2. प्रतिबाधा आवृत्ति पर निर्भर करती हैं।
3. इसे Z से प्रदर्शित करते हैं।
विद्युत-चुम्बकीय तरंगों और ध्वनि तरंगों में अन्तर :-
विद्युत चुम्बकीय तरंग :-
1.ये तरंगें विद्युत्-क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र दोनों से उत्पन्न होती हैं।
2. ये तरंगें सभी माध्यमों में अनुप्रस्थ तरंगें होती हैं।
3. इनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती।
4. इन तरंगों का ध्रुवण होता है।
5. इन तरंगों की चाल अत्यधिक होती है।
(निर्वात् में चाल 3 ⨯ 10⁸ms⁻¹ होती है। )
ध्वनि तरंग :-
1. ये तरंगें माध्यम के कणों के कम्पन से उत्पन्न होती है।
2. ये तरंगें वायु में अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं।
3. इनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।
4. इन तरंगों का ध्रुवण नहीं होता।
5. इन तरंगों की चाल अपेक्षाकृत कम होती है।
( 0℃ पर वायु में 332ms⁻¹ )
पेल्टियर प्रभाव और जूल प्रभाव में अन्तर
पेल्टियर प्रभाव :-
1.इस प्रभाव में एक सन्धि पर ऊष्मा उत्पन्न होती है।
2.यह उत्क्रमणीय प्रभाव है।
3.यह प्रभाव दिष्ट धारा से उत्पन्न होता है प्रत्यावर्ती धारा से नहीं।
4. किसी संधि पर उत्पन्न ऊष्मा अथवा अवशोषित ऊष्मा प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होती है।
जूल प्रभाव :-
1.जूल प्रभाव में चालक के सम्पूर्ण भाग में ऊष्मा उत्पन्न होती है।
2. यह अनुत्क्रमणीय प्रभाव है।
3. यह प्रभाव दिष्ट धारा और प्रत्यावर्ती धारा दोनों से उत्पन्न होता है।
4. चालक में उत्पन्न ऊष्मा प्रवाहित धारा के वर्ग के अनुत्क्रमणीय होती है।
विद्युत् वाहक बल और विभवान्तर में अन्तर
विद्युत् चुम्बकीय क्षेत्र और द्रव्य चुम्बकीय क्षेत्र में अंतर