द्वितार लाइन (Two Wire Line):-
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द्वितार लाइन में दो चालकों तारों का उपयोग किया जाता है।
ये निम्न प्रकार के होते हैं –
1. समान्तर तार लाइन
2. ऐंठित युग्म तार लाइन।
1. समान्तर तार लाइन (Parallel wire lines) :-
यह काले फीते की तरह होता है जिसमें दो समान्तर तार किसी विद्युत् रोधी के द्वारा पृथक होते हैं।
इसका उपयोग प्रायः ऐण्टिना और अभिग्राही सेट को जोड़ने में किया जाता है।
ऊर्जा ह्रास :-
समान्तर तार लाइन में निम्न तीन प्रकार के ऊर्जा ह्रास होते हैं –
1. विकिरण द्वारा :-
उच्च आवृत्ति पर ताँबे का तार ऐण्टिना की भाँति कार्य करने लगता है तथा ऊर्जा को विकिरण या उत्सर्जित करता है।
स्पष्ट है कि द्वितार लाइन से ऊर्जा का क्षय होने लगता है। आवृत्ति बढ़ने पर यह ह्रास भी बढ़ने लगता है।
2. चालकों के गर्म होने से :-
ताँबे के तार का एक निश्चित प्रतिरोध होता है। लम्बाई बढ़ने पर उसका प्रतिरोध बढ़ने लगता है।
अतः सूत्र Q = I²Rt के अनुसार , उसमें उत्पन्न ऊष्मा Q का मान भी बढ़ने लगता है।
इस प्रकार ऊष्मा के रूप में ऊर्जा का क्षय होने लगता है।
3. त्वचिक प्रभाव (Skin Effect) के कारण :-
आवृत्ति अधिक होने पर किसी चालक में धारा उसके पूरे भाग में से प्रवाहित होने के बजाय केवल बाह्य सतह के पास से ही प्रभावित होती है।
इस घटना को त्वचिक प्रभाव कहते हैं।
त्वचिक प्रभाव के कारण चालक की प्रभावी मोटाई कम होने लगती है , फलस्वरूप उसका प्रतिरोध बढ़ने लगता है।
रेडियो तरंग आवृत्ति पर धारा चालक के केवल बाह्य सतह से ही प्रवाहित होती है , फलस्वरूप उसका प्रतिरोध अत्यधिक बढ़ जाता है।
इस प्रकार ऊष्मा के रूप में ऊर्जा का ह्रास होने लगता है।
दोष :-
1. लम्बी दूरी तक संचार के लिए अनुपयुक्त है क्योंकि तार की लम्बाई बढ़ने से सिग्नल से होने वाले ऊर्जा ह्रास का मान भी बढ़ जाता है।
2. जब तारों में से सिगनल संचरित होता है तो प्रत्येक तार के चारों ओर विद्युत् क्षेत्र एवं चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाते हैं।
दोनों तारों के कारण उत्पन्न क्षेत्र सिगनल को विरूपित करने लगते हैं।
2. ऐंठित युग्म तार लाइन (Twisted pair wire line) :-
इसमें दो विद्युत् रोधी ताँबे के तार एक दूसरे पर बँटे होते हैं। तारों के बँटे होने के कारण विद्युत् चुम्बकीय गतिरोध कम हो जाते हैं।
इसका उपयोग अधिकतर टेलीफोन संचार में किया जाता है। ऐंठित युग्म का उपयोग एनालॉग और डिजिटल दोनों प्रकार के सिगनलों के प्रसारण में किया जाता है।
ऐंठित युग्म में 250 किलो हर्ट्ज (kHz) बैण्ड चौड़ाई का सिगनल प्रसारित किया जा सकता है।
ऊर्जा ह्रास :-
समान्तर तार लाइन की भाँति इसमें भी ऊर्जा ह्रास होते हैं।
विशेषताएं :-
1. एनालॉग और डिजिटल दोनों प्रकार के सिगनलों के संचार के लिए इस तार लाइन का उपयोग किया जा सकता है।
2.समान्तर लाइन की तुलना में इसमें शोर और अन्य विरूपण बहुत कम होते हैं।
3. यह कम खर्चीला होता है।
4. इसे आसानी से लगाया जा सकता है।
5. इसे आसानी से टेप (Tap) किया जा सकता है।
दोष :-
1. यह अपेक्षाकृत कम टिकाऊ होता है। आँधी तूफान से टूटने की आशंका रहती है।
2. लम्बी दूरी तक संचार के लिए अनुपयुक्त है , क्योंकि ऊर्जा क्षय होने के कारण सिगनल कमजोर पड़ते जाते हैं।
3. आवृत्ति अधिक होने पर तार ऐण्टिना की भाँति कार्य करते हैं , जिससे शक्ति का क्षरण होने लगता है।
एनालॉग तथा डिजिटल संचार किसे कहते हैं ?