आवेशों का संरक्षण (Conservation of Charges)
आवेशों का संरक्षण –
आवेश संरक्षण सिद्धांत के अनुसार –
किसी पृथक्कृत निकाय (Isolated System) का कुल आवेश नियत रहता है।
अथवा
किसी पृथक्कृत निकाय में धनावेश और ऋणावेश का बीजीय योग सदैव नियत रहता है।
दूसरे शब्दों में , आवेश न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है।
यह विभिन्न तरीक़े से विभिन्न समूहों में परिलक्षित हो सकता है।
उदाहरण :-
1. जब काँच की छड़ को रेशम के कपड़े से रगड़ा जाता है , तो काँच की छड़ धनावेशित तथा रेशम कआ कपड़ा ऋणावेशित हो जाता है।
जाँच करने पर पता चलता है , काँच की छड़ में धनावेशित की मात्रा रेशम के कपड़े में ऋणावेश कई मात्रा के ठीक बराबर होती है।
इस प्रकार धनावेश और ऋणावेश का बीजीय योग शून्य होता है , जो वास्तव में रगड़ने के पूर्व था।
2. युग्म उत्पादन (Pair production) में गामा किरण फोटॉन , इलेक्टॉन और पॉजिट्रॉन युग्म में विभक्त हो जाता है।
इस घटना में आवेश संरक्षण का सिद्धांत लागू होता है। युग्म उत्पादन से प्राप्त इलेक्टॉन और पॉजिट्रॉन के आवेशों कआ बीजीय योग शून्य होता है।
युग्म उत्पादन के पहले गामा किरण फोटॉन कआ आवेश भी शून्य था।
3. शुनयिकर्ण में इलेक्टॉन और पॉजिट्रॉन संयुक्त होकर गामा किरण फोटॉन बनाते हैं।
इस घटना में भी आवेश संरक्षण का सिद्धांत लागू होता है।
आवेश संरक्षण का सिद्धांत , ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत के समान ही सभी परिस्थितियों में लागू होता है।
यह एक सार्वत्रिक नियम (Global Law) है।