आयाम का अर्थ
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जानिए , आयाम का अर्थ
आयाम का अर्थ या शिखर मान (Amplitude or Peak Value) –
प्रत्यावर्ती धारा के अधिकतम मान को उसका आयाम या शिखर मान कहते हैं।
I = I0 sin ωt ….(1)
समीकरण (1) में I0 प्रत्यावर्ती धारा का आयाम या शिखर मान है।
इसी प्रकार, प्रत्यावर्ती वोल्टेज के अधिकतम मान को उसका आयाम या शिखर मान कहते हैं।
समीकरण V= Vo sin ωt में Vo प्रत्यावर्ती वोल्टेज का आयाम या शिखर मान है।
वर्ग-माध्य-मूल मान (Root Mean Square Value)
किसी चालक तार में विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर उसमें उत्पन्न ऊष्मा धारा के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है।
अत: उस तार में धारा किसी भी दिशा में प्रवाहित करें उसमें सदैव ऊष्मा उत्पन्न होगी।
प्रत्यावर्ती धारा आधे चक्र में धनात्मक एवं आधे चक्र में ऋणात्मक होती है, किन्तु इसका वर्ग सदैव धनात्मक होता है।
अतः प्रत्यावर्ती धारा ऊष्मीय प्रभाव उत्पन्न करती है।
यही कारण है कि प्रत्यावर्ती धारा को सदैव ऊष्मीय प्रभाव के आधार पर मापा जाता है।
प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग-माध्य-मूल मान एक पूर्ण चक्र पर I² के माध्य के वर्गमूल के बराबर होता है। इसे Irms से प्रदर्शित करते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण बातें-
(i) चूँकि प्रत्येक चक्र में प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान शून्य के बराबर होता है,
प्रत्यावर्ती धारा, चुम्बकीय प्रभाव या रासायनिक प्रभाव प्रदर्शित नहीं करती।
यह केवल ऊष्मीय प्रभाव प्रदर्शित करती है।
(ii) दिष्ट-धारा मापने वाले अमीटर या वोल्टमीटर धारा के चुम्बकीय प्रभाव पर आधारित होते हैं।
ऐसे अमीटर या वोल्टमीटर में कुण्डली स्थायी चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र में विक्षेपित होती है।
जब कुण्डली में विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है, तो कुण्डली पर एक विक्षेपक बलयुग्म कार्य करता है जिसके कारण कुण्डली विक्षेपित हो जाती है।
यदि प्रत्यावर्ती धारा को ऐसे अमीटर या वोल्टमीटर की कुण्डली में से प्रवाहित करें
तो धारा की दिशा और मान में बार-बार परिवर्तन होने के कारण कुण्डली पर कार्य करने वाले विक्षेपक बलयुग्म की दिशा और मान में भी बार-बार परिवर्तन होगा।
कुण्डली पर कार्य करने वाले इस विक्षेपक बलयुग्म का एक पूर्ण चक्र में औसत मान शून्य होगा।
अतः कुण्डली में कोई विक्षेप नहीं होगा।
फलस्वरूप संकेतक अपनी शून्य स्थिति में ही रहेगा।