अक्षीय स्थिति (End on Position)
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अक्षीय स्थिति –
जब कोई बिंदु , जहां पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी होती है , बढ़ाए गए चुंबकीय अक्ष पर होता है, तो उसे चुंबक के सापेक्ष अक्षीय स्थिति में कहा जाता है ।
इसे गॉस की A स्थिति भी कहते हैं ।
मान लो NS1 दंड चुंबक है , जिसकी प्रभावी लंबाई 2l तथा ध्रुव प्राबल्य m हैं। इस के मध्य बिंदु o से d दूरी पर अक्षीय स्थिति में एक बिंदु p है, जिस पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है ।
उत्तरी ध्रुव N के कारण बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
B1 = µ0/4π . m / NP²
B1 = µ0/4π . m / (d – l)² (NP दिशा में)
दक्षिणी ध्रुव S के कारण बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
B2= µ0/4π . m / SP²
B2= µ0/4π . m / (d + l)² (PS दिशा में)
B1 और B2 एक ही रेखा में विपरीत दिशा में कार्य करते हैं तथा B1 > B2.
अतः बिन्दु P पर परिणामी तीव्रता B = B1 – B2
B = µ0/4π . m / (d – l)² – µ0/4π . m / (d + l)²
B = µ0/4π . 4mld / (d² – l²)²
परन्तु M = m ×2l =चुम्बकीय आघूर्ण
B = µ0/4π . 2Md / (d² – l²)² (NP की दिशा में)
यही दण्ड चुम्बक के कारण अक्षीय स्थिति में किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र है।
यदि चुम्बक छोटा हो तथा d का मान अधिक हो अर्थात l<<d , तो d की तुलना में l की उपेक्षा की जा सकती है।
B = µ0/4π . 2Md / (d² – 0²)²
सूत्र –
B = µ0/4π . 2M /d³
यही छोटे दंड चुंबक के कारण अक्षीय स्थिति में किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र है ।
परिणाम चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुंबकीय अक्ष के अनुदिश दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है ।
निरक्षीय स्थिति (Broad side on Position) –
जब कोई बिंदु, जिस पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी होती है , चुम्बकीय अक्ष के लम्ब अर्धक पर होता है, तो उसे चुंबक के सापेक्ष निरक्षीय स्थिति में कहा जाता है।
इसे गॉस की B स्थिति भी कहा जाता है।
मानो NS1 दण्ड चुम्बक है , जिसकी प्रभावी लंबाई 2l है तथा ध्रुव प्राबल्य m है। इसके माध्य बिन्दु O से निरक्षीय स्थिति में d दूरी पर एक बिंदु P है , जिस पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है ।
उत्तरी ध्रुव N के कारण बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
B1 = µ0/4π . m / NP² (NP दिशा में)
इसी प्रकार , दक्षिणी ध्रुव S के कारण बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
B2= µ0/4π . m / SP² (PS दिशा में)
चूंकि Np =SP , B1 और B2 परिमाण में बराबर होंगे।
अतः सदिशों के योग के समान्तर चतुर्भुज नियम से ,
अतः बिन्दु P पर परिणामी तीव्रता
B =2 B1 cos (2θ/2)
B =2 B1 cos θ
जहां 2θ , B 1 और B2 के मध्य कोण है। B की दिशा B1 और B2 के मध्य कोण के अर्धक के अनुदिश होगी।
नोट – यदि दो समान सदिश a के बीच का कोण θ हो , तो उनका परिणामी
R = 2 a cos (θ/2)
R की दिशा दोनों सदिशों के अर्धक के अनुदिश होती है।
B = µ0/4π . 2m / NP² cos θ
रेखागणित से स्पष्ट है कि ∠ PNS = ∠ PSN = θ
समकोण ∆ PON में ,
NP² = OP² + ON² = d² + l²
तथा cos θ = ON / NP = l / √ d² + l²
तो ,B = µ0/4π . 2m / d² + l² .l / √ d² + l²
B = µ0/4π . 2ml / (d² + l²)3/2
परन्तु M = m ×2l =चुम्बकीय आघूर्ण
B = µ0/4π . M / (d² + l²)3/2
यही दंड चुंबक के कारण निरक्षीय स्थिति में किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र है।
यदि चुंबक छोटा हो तथा d का मान अधिक हो अर्थात l<<d , तो d की तुलना में l की उपेक्षा की जा सकती है।
सूत्र –
अतः B = µ0/4π . M / d³
यही छोटे दंड चुंबक के कारण निरक्षीय स्थिति में किसी बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र है।
परिणामी चुंबकीय क्षेत्र B की दिशा चुंबकीय अक्ष के समांतर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर होती है।
अक्षीय एवं निरक्षीय स्थिति में चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता में तुलना –
यदि चुंबक छोटा हो , तो उसके मध्य बिंदु से d दूरी पर अक्षीय स्थिति में स्थित किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता B1 = µ0/4π . 2M / d³
तथा निरक्षीय स्थिति में उतनी ही दूरी पर स्थित किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता B2 = µ0/4π . M / d³
अतः अक्षीय स्थिति में निरक्षीय स्थिति की तुलना में चुंबक के मध्य बिंदु से उतनी ही दूरी पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता लगभग दुगुना होती है।
अक्षीय स्थिति एवं निरक्षीय स्थिति में अन्तर :-
अक्षीय स्थिति :-
1. इस स्थिति में विचाराधीन बिन्दु बढ़ाये गये चुम्बकीय अक्ष पर स्थित होता है।
2. इस स्थिति में निरक्षीय स्थिति की तुलना में चुम्बक के मध्य बिन्दु से उतनी ही दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता लगभग दुगुनी होती है।
3. इस स्थिति में परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बकीय अक्ष के अनुदिश S- ध्रुव से N-ध्रुव की ओर होती है।
निरक्षीय स्थिति :-
1. इस स्थिति में विचाराधीन बिन्दु चुम्बकीय अक्ष के लम्ब अर्धक पर स्थित होता है।
2. इस स्थिति में अक्षीय स्थिति की तुलना में चुम्बक के मध्य बिन्दु से उतनी ही दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता लगभग आधी होती है।
3. इस स्थिति में परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बकीय अक्ष के समान्तर N- ध्रुव से S-ध्रुव की ओर होती है।
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