सूचना का अधिकार अधिनियम 2005
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सूचना का अधिकार अधिनियम 2005
उद्देश्य-
1. लोकतांत्रिक आदर्शों को प्रमुख मानते हुए यह माना गया कि नागरिक जो सूचना या जानकारी चाहते हैं
उन्हें अवगत कराना सरकार तथा उनके माध्यमों का कर्तव्य होगा।
2 पारदर्शिता तथा जवाबदेही नागरिकों के प्रति जनविश्वास एवं जनभागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
3 नागरिकों से संबंधित लोक हित के कार्यों में अनावश्यक विलंब दूर हो सकेगा
और नागरिकों के प्रति जवाब देह होने का एहसास हो सकेगा।
4. नागरिकों को भी कानून के दायरे में रहकर शासन या उसके माध्यमों को अकारण परेशान करने से संयम रखना होगा
तथा व्यक्तिगत हित से ऊपर उठकर राष्ट्र हित में चिंतन करना होगा।
सूचना का अधिकार प्राप्त करने की प्रक्रियाः-
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत जानकारी प्राप्त करने के लिए जिस संस्था या कार्यालय से जानकारी प्राप्त की जानी है
उसको लिखित रूप में आवेदन देना होता है।
आवेदन के साथ 10/- का शुल्क जमा करना होता है।
इस शुल्क की रसीद आवेदक को प्राप्त कर लेनी चाहिए।
गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्ति को शुल्क नहीं देना पड़ता।
आवेदन के तीस दिन के अंदर चाही गई जानकारी संबंधित कार्यालय द्वारा दी जाती है।
जानकारी के अंतर्गत यदि किसी प्रकार के कागज की छायाप्रतियाँ दी जा रही हैं, तो छायाप्रति का शुल्क जमा करना होता है।
राशि देते समय रसीद प्राप्त कर लेना आवश्यक है।
शुल्क का भुगतान चालान द्वारा भी किया जा सकता है।
तीस दिवस के अंदर जानकारी प्राप्त न होने पर या जानकारी अधूरी, भ्रमक अथवा
गलत होने की स्थिति में आवेदनकर्ता उस संस्था या कार्यालय से संबंधित बड़े अधिकारी के पास आवेदन कर सकता है।
जानकारी देने वाली संस्था या कार्यालय की गलती सिद्ध होने पर राज्य सूचना कार्यालय संस्था या कार्यालय से संबंधित व्यक्ति को प्रतिदिन 250/-की दर से अधिकतम 25000/- तक का जुर्माना कर सकता है।
जुर्माने से प्राप्त राशि आवेदक को दी जाती है।
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भारत में लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना की गई।
अतः लोकतंत्र में आवश्यक है कि नागरिकों को सूचना की जानकारी उपलब्ध करायी जाये या जानने की पारदर्शिता हो।
सरकार व उसके माध्यमों की शासितों के प्रति जवाबदेही तय हो।
जानकारी की गोपनीयता को दृष्टिगत रखते हुए लोकतांत्रिक आदर्शों के परिपालन जनहित को लक्ष्यगत रखते हुये नागरिकों को सूचना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 पारित किया गया।
इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोपरि मानते हुए संवेदनशील गोपनीयता बनाये रखते हुए जो सूचना नागरिक चाहते हों,
अवगत कराया जाये।
सूचना देना सरकार के सभी विभागों का कर्तव्य होगा।
नागरिकों से संबंधित लोकहित कार्यों में अनावश्यक विलम्ब तथा नौकरशाही का प्रमाद दूर कर सकेगा।
शासन और उनके संगठनों के माध्यमों से जनता के प्रति जवाबदेही होने का अहसास पुष्ट हो सकेगा।
यह अधिनियम सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 कहा जाएगा।
इसका विस्तार जम्मू कश्मीर को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में होगा।
धारा 2 के अनुसार सूचना के अधिकार से तात्पर्य ऐसी सूचना के अधिकार से है जो इस अधिनियम के आधीन पहुँच योग्य
और अधिगम्य हो तथा किसी लोक नियंत्रण के आधीन या इसके द्वारा धारित हो।
सूचना के अधिकार
सूचना के अधिकार में निम्न अधिकार सम्मिलित हैं :-
1. किसी कार्य, दस्तावेजों का अभिलेखों का निरीक्षण।
2. दस्तावेजों या अभिलेखों के नोट्स लेना, सार संक्षेप लेना या उनकी, प्रमाणित प्रतिलिपियाँ लेना।
3. सामग्री के प्रमाणित नमूने ।
4. जहाँ ऐसी सूचना कम्प्यूटर में, या किसी अन्य उपाय साधन द्वारा भंडारण की गई वहां ऐसी सूचना सीडी फ्लापी या टेप्स वीडियो कैसेट के माध्यम से या अन्य विद्युत तरीके या प्री आर्डर के माध्यम से प्राप्त कर सके, करने का अधिकार सम्मिलित है।
सूचना का अधिकार और लोक प्राधिकारियों का दायित्व-
इस अधिनियम के उपबंधों के अध्याधीन रहते हुए समस्त नागरिक सूचना का अधिकार रखेंगे।
अर्थात अधिकार अधिनियम के उपबंधों के अधीन प्राप्त रहेगा।
यदि अधिनियम के उपबंध किसी सूचना की संवेदनशील व गोपनीय मानने का प्रावधान रखते हैं तो सूचना पाने का अनुरोध नागरिक के लिए प्रतिबंधित सूचना पाने का अधिकार नहीं रखेगा।
किन्तु नागरिकों के लिये पहुंच के भीतर अधिगम्य सूचना विधिवत उपलब्ध कराने में लोक प्राधिकारी मनमाने तौर पर हीला हवाला या उपेक्षा को प्रवृत्ति नहीं करेगा।
लोक प्राधिकारी के कृत्यों में पारदर्शिता तथा नागरिकों के प्रति जवाबदेही की भावना का विकास होना चाहिए।
इस बात का प्रयास हो कि स्वच्छ प्रशासन नागरिकों को समान सुविधाओं के लिये प्राप्त हो सके तथा लोकहित के कार्यों में भी अमानक स्तर पर घटिया निर्माण नहीं हो सकेगा।
लोकहित कार्यों की सुनवाई समय- समय पर लोक प्राधिकारीगण कर सकेंगे। समुचित राहत नागरिकों को समय की प्रतिबद्धता, कर्त्तव्य परायणता एवं जन सेवक होने, सच्ची तत्परता के साथ उचित माध्यम से उपलब्ध कराए जा सके।
नागरिकों को अधिकारों के दुरूपयोग से बचना चाहिए।
लोक प्राधिकारियों का दायित्व –
अधिनियम की धारा 4 के अनुसार प्रत्येक लोक प्राधिकारी के लिये अनिवार्य होगा कि –
1. वे अपने समस्त अभिलेख सम्यक रूप से सूचीए सारिणी तालिकाबद्ध अनुक्रमणिका का अभिसूचक रीति तथा प्रारूप में बनाए रखें।
जिससे इस अधिनियम के आधीन सूचना अधिकार को सरल बनाया जाए और यह सुनिश्चित करें कि समस्त अभिलेख, कम्प्यूटरीकृत किए जाएँ
तथा समस्त देश विभिन्न पद्धतियों से रेडियो, टेलीविजन तथा तंत्र जाल के माध्यम से जुड़ा हुआ रहे
जिससे अभिलेख तक पहुँच को आसान बनाया जा सके।
2. इस अधिनियम के अधिनियमित होने के दिनांक से 120 दिन के भीतर लोक प्राधिकारी निम्नलिखित प्रकाशन करेगा
तथा 100 दिन के भीतर प्रत्येक लोक प्राधिकारी प्रत्येक अनुविभागीय स्तर पर या उपजिला स्तर पर केन्द्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी
या यथा स्थिति सहायक लोक सूचना अधिकारी के रूप में पद अभिहित करेगा।
जिससे कार्यालयों को इसी अधिनियम के अधीन अनुरोध करने वाले व्यक्तियों को सूचना दी जाए।
लोक प्राधिकारी निम्न प्रकाशन करेगा :-
1. इसके संगठन कृत्य और कर्तव्यों की विशेषताओं का प्रकाशन ।
2. इसके अधिकारीगण तथा कर्मचारियों की शक्तियों और कर्तव्यों का प्रकाशन।
3. निर्णय किए जाने के प्रक्रम में अपनायी जाने वाली प्रक्रिया और निगरानी तथा जवाबदेही के माध्यम का प्रकाशन करना।
4. उनके कृत्यों के निर्वहन के लिये मानदंड निश्चित करना तथा नियंत्रक के लिये उपयोग किए गये
नियमों, विनिमयों, अनुदेशों मेन्युल्स व अभिलेख की व्यवस्था, प्रकाशन। 5. उसके द्वारा धारित दस्तावेजों की श्रेणियों का विवरण एवं प्रकाशन।
6. नीतियों के परिपालन के सम्बध में किसी व्यवस्था की विशिष्टयां जो कि लोक सदस्यों द्वारा परामर्श किए जाने के लिये मौजूद है उनका प्रकाशन करें।
7. बोडौं, परिषदों और निकायों का विवरण प्रकाशन।
8. इसके अधिकारियों और कर्मचारियों की निर्देशिका का प्रकाशन
9. मासिक पारिश्रमिक, क्षतिपूर्ति, मुआवजे की पद्धति का प्रकाशन।
10. प्रत्येक अभिकरण के लिये आवंटित बजट, समस्त योजनाओं पर प्रस्तावित व्यय तथा भुगतानों की अदायगी की रिपोर्ट की विशिष्टियों का प्रकाशन।
11. अनुदान के प्रोग्रामों का और आबंटित रकमों का विवरण।
12. उसके द्वारा दी गई सुविधाओं, अनुज्ञापत्रों की विशिष्टियों का प्रकाशन।
13. नागरिकों को सूचना प्राप्त करने के लिये लाइब्रेरी, अध्ययन कक्ष की व्यवस्था का प्रकाशन
14. लोक सूचना अधिकारियों के नाम, पदनाम व अन्य विशिष्टियों का प्रकाशन।
सूचना प्राप्त करने के लिए अनुरोध –
वह व्यक्ति जो इस अनुरोध के अन्तर्गत कोई सूचना प्राप्त करने की इच्छा रखता है
लिखित में या इलेक्ट्रानिक साधन द्वारा अंग्रेजी, हिन्दी या क्षेत्रीय भाषा जो उस क्षेत्र में आवेदन दिया जा रहा है फीस सहित अपना अनुरोध कर सकता है।
इस अनुरोध में वह सूचना की विशिष्टियों इंगित करेगा।
सूचना के लिये अनुरोध करने वाले व्यक्ति से कारण बताए जाने का या कोई अन्य व्यक्तिगत विवरण देने की अपेक्षा नहीं की जायेगी।
सिवाय इसके कि उससे सम्पर्क साधन के लिये जो विवरण आवश्यक हो वह प्रदाय करें।
लोक प्राधिकारी जिसे आवेदन दिया गया है
उस आवेदक को या उस आवेदन से संबंधित किसी ऐसे भाग को जो उस लोक सूचना अधिकारी को स्थानान्तरित करेगा
जो उपयुक्त रीति की सूचना देने में सक्षम हो तथा आवेदन प्राप्ति के पांच दिनों के भीतर आवेदन को स्थानांतरित करने के बारे में सूचित करेगा।
अनुरोध का निपटारा (1) उपधारा (3) के आधीन केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी अनुरोध प्राप्त होने पर यथासंभव शीघ्र
या किसी भी दशा में अनुरोध प्राप्त होने के तीस दिन के भीतर या तो इस फीस के जो विहित की जावे के भुगतान की सूचना प्रदान करेगा
या धारा 8 या 9 में निहित कारणों में से किसी कारण से अनुरोध को नामंजूर कर देता है परन्तु जहां चाही गई सूचना व्यक्ति के जीवन स्वंतत्रता से संबंध रखती है
तो उस सूचना को अनुरोध प्राप्ति से 48 घंटे के भीतर प्रदान किया जाना अनिवार्य होगा।
(2) यदि केन्द्रीय सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी कालाविधि के भीतर सूचना के अनुरोध पर निर्णय करने में असफल रहते है तो यह समझा जावेगा कि अनुरोध नामंजूर कर दिया गया है।
धारा में अनुरोध के निपटारे के लिये कुछ उपबंध दिए गये हैं:-
(1) अनुरोध की मंजूरी या नामंजूरी की दशाओं में कार्यवाही करने की लोक सूचना प्राधिकारी, अधिकारी की कर्तव्यनिष्ठा पर बल दिया गया है।
सूचना देने के लिये अवधारित लागत खर्च की गणना एवं आंकलन कर उस फीस को जमा करने का अनुरोध किया जायेगा। इस हेतु 30 दिन का समय निर्धारित है।
फीस जमा करने की तिथि को कालावधि की तीस दिन में नहीं गिना जावेगा। जिस व्यक्ति को सूचना दी जाती है
यदि वह निःशक्त है तो सूचना प्राप्ति में सूचना अधिकारी राहत बरतेगा।
सूचना मुद्रित प्राप्त में उपलब्ध कराई जाएगी तथा निर्धारित फीस ली जा सकेगी।
किन्तु ऐसा व्यक्ति जो गरीबी रेखा से नीचे है उन्हें फीस विमुक्ति दी जावेगी।
इसी प्रकार से यदि अधिकारी सूचना समझाईश में नहीं दे सके तब भी फीस रियायत दी जावेगी।
नामंजूरी का कारण बताते हुए तथा अर्पीलीय प्राधिकारी के बारे में विशिष्टयों में व्यक्ति के पदनाम, स्थान, पता आदि अन्य सूचनाएं अनुरोध चाहने वाले व्यक्ति को सूचना अधिकारी देंगे।
सूचना को प्रकट करने में विमुक्ति :-
1. ऐसी सूचना और प्रकटीकरण जिससे भारत की प्रभुसत्ता और अखण्डता की राज्य की सुरक्षा, सामरिक, वैज्ञानिक, आर्थिक हितों पर, विदेशी राज्य के साथ संबंधों या अपराध पर प्रतिकूल प्रभाव हो, सूचना नहीं दी जायेगी।
2. ऐसी सूचना जिसको प्रकाशित करने में न्यायालय द्वारा निषिद्ध किया गया हो, या न्यायालय की अवमानना हो, उस पर रोक लगाई गई है।
3. ऐसी सूचना जिसके प्रकटीकरण से संसद या विधानसभा के भंग होने का कारण होगा।
4. ऐसी सूचना जिसमें वाणिज्यिक विश्वास, गोपनीयता के लिये या प्रकटीकरण हानिप्रद हो।
5 . ऐसी सूचना जिसके प्रकाशन, में किसी व्यक्ति के शारीरिक सुरक्षा को खतरा हो।
6. सूचना जो अपराधियों के अनुसंधान या जांच में बाधक बनेंगी।
7. ऐसी सूचना जो विदेशी सरकार से प्राप्त की गई है।
8. मंत्रिमंडलीय कागजात जिसमें मंत्रिपरिषद, सचिवों व अन्य अधिकारियों के विचार विमर्श का अभिलेख हो,
विनिश्चय दिए जाने पर यदि सार्वजनिक करना आवश्यक हो वह मामले जो अपवादों व विमुक्तियों के अधीन आता है उन्हें प्रकट नहीं किया जावेगा।
उपरोक्त सभी सूचनाओं जब तक राजस्व प्राधिकारी इस बात से संतुष्ट न हो जावे कि लोकहित उनकी प्रकटीकरण आवश्यक है तभी दिये जायेगे ।
कतिपय मामलों में पहुंच की नामंजूरी के लिये आधार धारा 7 के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी के अनुरोध को नामंजूर कर सकेगा।
तीसरे पक्ष को सूचना – धारा 11 के अनुसार जब कोई सूचना तीसरे पक्ष से संबंधित है
तथा तीसरे पक्ष ने उस पर अनुरोध किया तो केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी अनुरोध प्राप्ति की समयाविधि में तीसरे पक्ष को सूचना देगा
तथा सूचना, रिकार्ड या भाव प्रकटन के बारे में विरोध दर्ज कराने या विरोध को विनिश्चय करने के निर्धारित समय सीमा के भीतर कार्यवाही का प्रावधान करेगा।
तीसरे पक्ष के विरूद्ध विनियम होने पर तीसरे पक्ष को धारा 11 के अन्तर्गत अपील का अधिकारी होगा ।
केन्द्रीय सूचना आयोग (Central Information Board)
धारा 12 केन्द्रीय सूचना आयोग का गठन
1. केन्द्रीय सरकार राजपत्र में अधिसूचना के द्वारा केन्द्रीय सूचना के नाम से जानने योग्य एक निकाय का गठन इस अधिनियम के अधीन प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग करने तथा सौंपे गए कृत्यों का निर्वहन करने के लिए करेगी।
2. केन्द्रीय सूचना आयोग में निम्नलिखित सदस्य रहेंगे मुख्य सूचना आयुक्त ऐसी संस्थाओं में केन्द्रीय सूचना आयुक्तों को रखा जायेगा जो 10 की संख्या से अधिक न हो।
3. मुख्य सूचना आयुक्त को और सूचना आयुक्तों को निम्नलिखित कमेटी की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जायेगा।
1. प्रधानमत्री इस कमेटी के चेयरमेन रहेंगे।
2 लोकसभा के विपक्ष के नेता।
3. प्रधानमंत्री द्वारा निर्देशित केन्द्रीय मंत्री परिषद का मंत्री।
स्पष्टीकरण:-
संदेहों का निवारण करने के लिये एतद् द्वारा घोषित किया जाता है
कि जहाँ लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता नहीं दी गई है
वहां लोकसभा में सबसे बड़े समूह की एकता पार्टी विपक्ष का नेता समझी जायेगी।
4. केन्द्रीय सूचना आयोग के कार्यकलाप, सामान्य, अधीक्षक, निर्देश प्रबंध मुख्य सूचना आयुक्त में निहित होंगे,
जिसकी सूचना आयोगों के द्वारा की जावेगी और वह समस्त ऐसी शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा
और समस्त ऐसे कार्य एवं बातों को कर सकेगा जिसका प्रयोग या क्रियान्वयन
इस अधिनियम के अधीन किसी अन्य प्राधिकारी के निर्देशन में अध्याधीन स्वायत्तशासी के रूप में केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा किया जा सकेगा।
5. मुख्य सूचना आयुक्त (कमिश्नर) तथा सूचना आयुक्त ऐसे उत्कृष्ट व्यक्ति होंगे
जिनको विधि विज्ञान एवं तकनीकी, सामाजिक सेवा प्रबंध और शासन में विस्तृत जानकारी और अनुभव हो।
6. मुख्य सूचना आयुक्त अथवा सूचना आयुक्त यथा स्थिति संसद सदस्य या संघीय क्षेत्र अधिकार के सदस्य या किसी राजनैतिक दल से संबंध नहीं रखेंगे।
न ही व्यवसाय स्वीकार करेंगे।
7. केन्द्रीय सूचना आयोग (कमीशन) का हेडक्वार्टर दिल्ली में होगा ।
4. धारा 13 पदावधि और सेवा की शर्तेः-
मुख्य सूचना आयुक्त की उस दिनांक से जब वह अपने ऑफिस में प्रवेश करते हैं,
पांच वर्ष पदावधि होगी और वे पुनः सेवा के पात्र नहीं होंगे। मुख्य चुनाव
आयुक्त 65 वर्ष की आयु के बाद पद धारण नहीं करेगें तथा 5 वर्ष से अधिक पद पर नहीं रहेगें।
मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्त किसी भी समय पद त्याग कर सकेंगे।
मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्त धारा 14 के अन्तर्गत अपने पद से हटाए जा सकेंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त मुख्य सूचना आयुक्त राष्ट्रपति के सामने पद की शपथ लेगें तथा पद त्याग कर सकेंगे।
धारा 14 उपधारा (3) के उपबंधों के अध्याधीन राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट को किए गए संदर्भ पर जांच पर, सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट देता है
कि मुख्य सूचना आयुक्त या किसी सूचना आयुक्त को यथास्थिति ऐसे आधार पर हटाए जाने चाहिए।
तब राष्ट्रपति के आदेश के द्वारा मुख्य सूचना आयुक्त या किसी आयुक्त को सिद्ध हुए दुर्व्यहार, अभद्रता, अयोग्यता के आधार पर हटाए जावेगा।
राष्ट्रपति उनका निलंबन या पद पर से निष्कासन कर सकता है।
5. क. मुख्य सूचना आयुक्त के वेतन भत्ते निबंधन व शर्तें वही होगी जो मुख्य निर्वाचन आयुक्त की होती है।
ख. परन्तु यदि मुख्य चुनाव आयुक्त या सूचना आयुक्त अपनी असमर्थता, निःशक्तता
या क्षति पेंशन को छोड़कर केन्द्र या राज्य सरकार के आधीन पेंशन पाते हैं
तो उनके वेतन में इस पेंशन की रकम घटा दी जावेगी किन्तु नियुक्ति के पश्चात उनके चेतन या सेवा की शर्तों में कोई परिवर्तन नहीं किया जावेगी।
4. इस अधिनियम के आधीन मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्त को अपने कर्तव्य निवर्हन के लिये वचा संभव अपनी ओर से आवश्यक अधिकारी, कर्मचारी भी देगा।
किन्तु उनके वेतन भते, एवं सेवा शर्तें एक सी होगी जैसी विहित की गई हो।
( सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 )
राज्य सूचना आयोग (State Information Commission)
प्रत्येक राज्य सरकार सरकारी राज्य में अधिसूचना के द्वारा इस अधिनियम के अनुसार प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने,
सौंपे गये कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिये राज्य सूचना आयोग नामक निकाय का गठन करेगी राज्य
सूचना आयोग में निम्नलिखित रहेंगे
1. राज्य मुख्य सूचना आयुक्त
2. राज्य सूचना आयुक्त आवश्यकतानुसार
3 मुख्य सूचना आयुक्त व राज्य सूचना आयुक्तों को निम्न कमेटी की अनुशंसा पर राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जावेगा।
1. मुख्यमंत्री जो कमेटी का चेयरमेन होगा (अधयक्ष)
2. विधानसभा में विपक्ष के नाम (सबसे बड़े एकल समूह का)
3. मुख्यमंत्री द्वारा नाम निर्देशित एक मंत्री
सूचना आयोग के क्रिया कलाप
4. सामान्य अधीक्षण, निर्देशन, प्रबंधक, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त में निहित रहेंगे जिसकी सहायता राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा की जावेगी
और ऐसी समस्त शक्तियों का वह प्रयोग करेगा जो स्वायत्तशासी रूप में राज्य सूचना आयोग द्वारा
इस अधिनियम के आधीन किसी अन्य प्राधिकारी के हस्तक्षेप के बिना क्रिर्यान्वित होंगे।
5. राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों में सार्वजनिक रूप से ऐसे प्रतिष्ठित उत्कृष्ठ व्यक्ति को रखा जायेगा।
जिसको व्यापक जानकारी ज्ञान एवं विधि तथा तकनीक, सामाजिक सेवा प्रबंध पत्रकारिता तथा प्रशासन व शासन का अनुभव हो।
6. राज्य मुख्य आयुक्त तथा आयुक्त संसद या विधानसभा के सदस्य नहीं होगे तथा न ही किसी दल से संबंधित होंगे।
वे लाभकारी पद या कारोबार को स्वीकार नहीं करेंगे।
मुख्यालय :-
इस आयोग का मुख्यालय ऐसी जगह होगा जहाँ राज्य सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा तय करे।
यह भी व्यवस्था है कि सूचना आयोग राज्य सरकार से अनुमति लेकर अन्य स्थान पर कार्यालय खोले।
मुख्य सूचना आयुक्त व राज्य सूचना आयुक्त की सेवा की शर्तेः-
1. राज्य मुख्य सूचना आयुक्त पांच वर्ष के लिये होगा और पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं होगा।
2. प्रत्येक राज्य सूचना आयुक्त पांच वर्ष या 65 वर्ष की आयु इनमें से जो पहिले अपना कार्यकाल पूरा करेगा।
उसके पश्चात पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं होगा, किन्तु वह राज्य मुख्य सूचना आयुक्त बन सकता है।
यदि राज्य सूचना आयुक्त, राज्य मुख्य सूचना के रूप में नियुक्त होता है तो उसकी पदावधि कुल मिलाकर दोनों पदों के आयुक्त के रूप में पांच वर्ष से अधिक नहीं होगी।
3. मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त राज्यपाल के नाम पद ग्रहण करने के पूर्व कर्तव्यनिष्ठा की शपथ लेंगे
तथा निर्धारित प्रारूप के अनुसार हस्ताक्षर करेंगे।
4. राज्य मुख्य सूचना आयुक्त व आयुक्त किसी भी समय राज्यपाल को अपने पद से त्यागपत्र दे सकते हैं।
राज्यपाल के द्वारा सुप्रीम कोर्ट को दिए संदर्भ में जांच के बाद राज्यपाल के आदेश दवारा सिद्ध प्रमाणित, दुर्व्यवहार, असमर्थता के आधार पर हटाया जा सकेगा।
राज्यपाल इन्हें जांच के दौरान निलंबित कर सकेगा और आवश्यक समझे तो पद पर उपस्थित रहने का निषेध भी कर सकता है।
दीवालिया, अपराधी, अयोग्यता व वित्तीय हित अर्जन करने आदि के आधार पर राज्यपाल उसे पद से हटा सकेगा।
सुचना आयोगों की शक्तियाँ एवं कार्य
1. धारा 18 में सूचना आयोगों की शक्तियां तथा कृत्य में शिकायत की जांच करने,
विर्निदिष्ट विषयों में सिविल प्रक्रिया संहिता के अधीन दी गई शक्तियों का प्रयोग करने के लिये प्राधिकृत किया गया है।
2. केन्द्रीय सूचना आयोग या यथास्थिति राज्य सूचना आयोग के धारा 13 में वर्णित दशाओं में किसी व्यक्ति की शिकायत पर इस बात का समाधान होने पर कि जांच आवश्यक है
जांच करने का अधिकार है अनुरोध पर समयावधि में ध्यान नहीं दिया गया या फीस अनुपयुक्त हो युक्ति-युक्त मांगी गई
या अपील को समयावधि में अग्रसर करने से इंकार करने पर या अनुरोध कर सूचना की पहुंच नहीं कराई गई हो।
अपील अपील एक कानूनी अधिकार है जो कानून के आधीन दुखी पक्ष को दिया जाता है।
सूचना के लिये निर्धारित कालावधि व्यतीत होने के 30 दिनों के भीतर दुखी व्यक्ति अपील प्रस्तुत कर सकता है।
दूसरी अपील 90 दिनों के भीतर प्रस्तुत की जावेगी।
अपील प्राप्त करने के तीस दिनों के भीतर या कुल मिलाकर 45 दिनों में कारणों को अभिलिखित करते हुए
निपटारा किया जावेगा।
केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का विनिश्चय बाध्यकर होगा।
शास्तियाँ शक्तियों धारा 20 में इनका दस्तावेज है।
केन्द्रीय कानून के अन्तर्गत पारदर्शिता एवं जवाबदारी शासन व प्रशासन में निष्ठा भारतीय नागरिकों में बनाए रखने के लिये
कदाचार, दुराग्रह, को खत्म करने तथा लोकतंत्र की गरिमा बनाये रखने के लिये शास्तियों की व्यवस्था की गई।
इनका उद्देश्य युक्तियुक्त कारणों के बिना सूचना आवेदन प्राप्त करने से इन्कार करने पर सेवा नियमों के अधीन अनुशासनात्मक कार्यवाही करना है।
छत्तीसगढ़ के सूचना अधिकार के नियम
छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 11 अक्टूबर 2005 को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में प्रदत्त शक्तियों का धारा प्रयोग करते हुए राज्य सरकार निम्नलिखित नियम बनाती है अर्थात:-
1. ये नियम छत्तीसगढ़ सूचना का अधिकार, शुल्क एवं मूल्य विनिमयकरण कहलाएगा
तथा यह प्रकाशन की तिथि से प्रभावशाली रहेगा।
शब्दों व अभिव्यक्तियों जो नियम से प्रयुक्त हैं,
उनके वहीं अर्थ होंगे जो उनके लिये अधिनियम में दिए जाते है।
धारा 6 की उपधारा (1) के तहत सूचना प्राप्त करने हेतु दस रूपए का शुल्क समुचित रसीद सहित चालान द्वारा लोक प्राधिकारी के नाम से देय होगा।
धारा 7 की उपधारा (1) के तहत सूचना उपलब्ध कराने हेतु नियमानुसार मूल्य समुचित रसीद या मनीआर्डर सहित चालान द्वारा जमा होगा।
(क) तैयार किए गये प्रतिलिपि प्रत्येक कागज के लिये रु. 1
(ख) बड़े कागज पर प्रति का वास्तविक मूल्य या लागत मूल्य एवं
(ग) नमूना अथवा माडल के लिये वास्तविक लागत मूल्य देय होगा।
9 मार्च 2006 17 मार्च 2006 में सूचना के अधिकार में निम्न परिवर्तन किए गये है।
क. गरीबी रेखा से नीचे के व्यक्तियों के लिये चाही गई जानकारी हेतु
1. आवेदन द्वारा मांगी गई जानकारी यदि उसके जीवन से संबंधित है तो वह प्रारूप में दी जावेगी।
जिसमें वह मांगी गई है।
2. चाही गई जानकारी पदि स्वयं से संबंधित नहीं हो तो 50 पृष्ठों की छायाप्रति तैयार करके 100/- सौ रूपये के खर्च में दी जावेगी।
3. यदि जानकारी 50 पृष्ठों से अधिक तथा 100 पृष्ठों से अधिक खर्च की है तो आवेदकगण को कार्यालय अभिलेखों नस्तियों के लिए निवेदन करना होगा।
4. प्रस्नोत्तर प्रारूप में मांगी गई जानकारी हेतु नॉन वी.पी. एल. कार्डधारियों के लिये यदि वह उसके व्यक्तिगत जीवन से संबंधित है तो 100 प्रतिपृष्ठ की कीमत में मांगे गए प्रारूप में दी जावेगी।
(ग) उत्तर तैयार करने में जन संसाधन, कम्प्यूटर, समय व अन्य संसाधनों पर आने वाले खर्च आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के उपरांत प्रारूप में दी जावेगी
अन्यथा नस्ती अभिलेख के अवलोकन की अनुमति दी जावेगी।
नस्ती अवलोकन के प्रथम घंटे का शुल्क 50 रूपए होगा।
छत्तीसगढ़ सूचना आयोग का गठन भी राज्य सूचना आयोग के अनुसार ही किया गया है।
( सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 )